Vol. 5, Issue 1, Part B (2019)
पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में शिलà¥à¤ªà¥€ वरà¥à¤— à¤à¤µà¤‚ राजà¥à¤¯ का नियंतà¥à¤°à¤£à¤ƒ à¤à¤• अनà¥à¤¶à¥€à¤²à¤¨
पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में शिलà¥à¤ªà¥€ वरà¥à¤— à¤à¤µà¤‚ राजà¥à¤¯ का नियंतà¥à¤°à¤£à¤ƒ à¤à¤• अनà¥à¤¶à¥€à¤²à¤¨
Author(s)
ललित कà¥à¤®à¤¾à¤° à¤à¤¾
Abstract
सपà¥à¤¤à¤¾à¤‚ग राजà¥à¤¯ सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ के विवेचन के तहत कोष के संचय और उसके समà¥à¤¯à¤• संरकà¥à¤·à¤£ पर विशेष धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देते रहने की बातों को बहà¥à¤¤ अधिक महतà¥à¤¤à¥à¤µ दिया गया है। कौटिलà¥à¤¯ के शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में कोष ही राजà¥à¤¯ का मूल है । यह संचित और संरकà¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं तो राजà¥à¤¯ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ साकार नहीं हो सकती। असà¥à¤¤à¥ कोष का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° बहà¥à¤¤ ही वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• और विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ है । चल-अचल समà¥à¤ªà¤¤à¤¿ के सà¥à¤°à¥‹à¤¤ à¤à¥€ इसी में अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤à¤•à¥à¤¤ हैं पर रतà¥à¤¨à¥‹à¤‚ का संचय तो इसके उतà¥à¤¤à¤® सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ का परिचायक है । अरà¥à¤¥à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° में रतà¥à¤¨ परीकà¥à¤·à¤¾ की नियमावली दी गयी है। संगà¥à¤°à¤¹ के पूरà¥à¤µ इनकी शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ का à¤à¤• खास मकसद था। मोती के कोई à¤à¤• ही सà¥à¤°à¥‹à¤¤ नहीं थे। इसके .सही-सही सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ ही मूलà¥à¤¯ के आकलन का आधार बनता था। उचà¥à¤š और निमà¥à¤¨ कोटि के मोती की पहचान करके उसका उपयोग अलंकारों व निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के लिठहो सकता था। उतà¥à¤¤à¤® मोती का सचय कोष की वृदà¥à¤§à¤¿ करता है। इस पतà¥à¤° मेें पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में शिलà¥à¤ªà¥€ वरà¥à¤— à¤à¤µà¤‚ राजà¥à¤¯ के नियंतà¥à¤°à¤£ पर विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया है।
How to cite this article:
ललित कà¥à¤®à¤¾à¤° à¤à¤¾. पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में शिलà¥à¤ªà¥€ वरà¥à¤— à¤à¤µà¤‚ राजà¥à¤¯ का नियंतà¥à¤°à¤£à¤ƒ à¤à¤• अनà¥à¤¶à¥€à¤²à¤¨. Int J Appl Res 2019;5(1):134-136.