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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Peer Reviewed Journal

Vol. 5, Issue 1, Part E (2019)

उषाकिरण खान: ‘भामती’ उपन्यास में सामाजिक, आर्थिक, परिस्थितियों का यथार्थ-चित्रण

उषाकिरण खान: ‘भामती’ उपन्यास में सामाजिक, आर्थिक, परिस्थितियों का यथार्थ-चित्रण

Author(s)
शम्भू पासवान
Abstract
ज्ञान संवर्द्धन के सभी अनुशासनों का साहित्य में रूपांकन उषाकिरण खान के रचना-कर्म का शगल है। उषा जी साहित्यिक विधा के सहारे इतिहास, धर्म, दर्शन और विज्ञान की सभी शाखाओं से पाठक को परिचित कराती हैं। वे कथ्य और शिल्प के चयन में बहुत सावधानी बरतती हैं, जिसके कारण उनकी रचनाधर्मिता का विश्लेषण सम्पूर्णता में ही सम्भव हो पाता है। ‘भामती’ उषा जी का अप्रतिम उपन्यास है। वे भामती को केन्द्र में स्थापित कर मिथिला के लोकजीवन, इतिहास, क्षेत्रीय विशेषताओं, सामाजिक-राजनैतिक जीवन के साथ ही सम्पूर्ण सांस्कृतिक विरासत को उद्घाटित करती हैं। भामती के नायक वाचस्पति मिश्र सनातन और सातत्य के प्रतीक हैं, जो परिवर्तन के स्थान पर एक धुरी की तरह अटल हैं। उषा जी भामती के सहारे नारी मन की व्यथा को संकेतित करती हैं। वे नारी-विमर्श की आधुनिक स्थापना को निरूपित नहीं करती बल्कि प्राचीन मैथिल समाज में स्त्रियों की दशा और दिशा को लेकर प्रश्न पूछती हैं। वाचस्पति ने अठारह वर्ष के कठिन श्रम और एकांकिक अध्ययन के पश्चात् ‘शंकर भाष्य’ पुस्तिका पूर्ण की, तदोपरान्त पत्नी-प्रेम के प्रतिदान में पुस्तिका का नामकरण भामती रखा है। इस सम्पूर्ण प्रकरण में स्त्री के दैहिक-विमर्श से इतर उच्च साहित्यिक विमर्श का प्रतिपादन है। यह उपन्यास ऐतिहासिक आख्यान रचकर उस काल की सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनैतिक स्थितियों का लेखा-जोखा है। उसमें सन्निहित मूल्य-प्रतिमान, आदर्श और सामाजिक चेतना उपस्थित हैं।
Pages: 484-485  |  1279 Views  314 Downloads


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How to cite this article:
शम्भू पासवान. उषाकिरण खान: ‘भामती’ उपन्यास में सामाजिक, आर्थिक, परिस्थितियों का यथार्थ-चित्रण. Int J Appl Res 2019;5(1):484-485.
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