Vol. 5, Issue 1, Part E (2019)
उषाकिरण खान: ‘à¤à¤¾à¤®à¤¤à¥€’ उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ में सामाजिक, आरà¥à¤¥à¤¿à¤•, परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का यथारà¥à¤¥-चितà¥à¤°à¤£
उषाकिरण खान: ‘à¤à¤¾à¤®à¤¤à¥€’ उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ में सामाजिक, आरà¥à¤¥à¤¿à¤•, परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का यथारà¥à¤¥-चितà¥à¤°à¤£
Author(s)
शमà¥à¤à¥‚ पासवान
Abstract
जà¥à¤žà¤¾à¤¨ संवरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¨ के सà¤à¥€ अनà¥à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¥‹à¤‚ का साहितà¥à¤¯ में रूपांकन उषाकिरण खान के रचना-करà¥à¤® का शगल है। उषा जी साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• विधा के सहारे इतिहास, धरà¥à¤®, दरà¥à¤¶à¤¨ और विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की सà¤à¥€ शाखाओं से पाठक को परिचित कराती हैं। वे कथà¥à¤¯ और शिलà¥à¤ª के चयन में बहà¥à¤¤ सावधानी बरतती हैं, जिसके कारण उनकी रचनाधरà¥à¤®à¤¿à¤¤à¤¾ का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£à¤¤à¤¾ में ही समà¥à¤à¤µ हो पाता है। ‘à¤à¤¾à¤®à¤¤à¥€’ उषा जी का अपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤® उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ है। वे à¤à¤¾à¤®à¤¤à¥€ को केनà¥à¤¦à¥à¤° में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ कर मिथिला के लोकजीवन, इतिहास, कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ विशेषताओं, सामाजिक-राजनैतिक जीवन के साथ ही समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विरासत को उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¿à¤¤ करती हैं। à¤à¤¾à¤®à¤¤à¥€ के नायक वाचसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ मिशà¥à¤° सनातन और साततà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• हैं, जो परिवरà¥à¤¤à¤¨ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर à¤à¤• धà¥à¤°à¥€ की तरह अटल हैं। उषा जी à¤à¤¾à¤®à¤¤à¥€ के सहारे नारी मन की वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ को संकेतित करती हैं। वे नारी-विमरà¥à¤¶ की आधà¥à¤¨à¤¿à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ को निरूपित नहीं करती बलà¥à¤•à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मैथिल समाज में सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की दशा और दिशा को लेकर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पूछती हैं। वाचसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ ने अठारह वरà¥à¤· के कठिन शà¥à¤°à¤® और à¤à¤•à¤¾à¤‚किक अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ ‘शंकर à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯’ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾ पूरà¥à¤£ की, तदोपरानà¥à¤¤ पतà¥à¤¨à¥€-पà¥à¤°à¥‡à¤® के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¾à¤¨ में पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾ का नामकरण à¤à¤¾à¤®à¤¤à¥€ रखा है। इस समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ के दैहिक-विमरà¥à¤¶ से इतर उचà¥à¤š साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• विमरà¥à¤¶ का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ है। यह उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• आखà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रचकर उस काल की सामाजिक, सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤•, आरà¥à¤¥à¤¿à¤• और राजनैतिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का लेखा-जोखा है। उसमें सनà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤ मूलà¥à¤¯-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, आदरà¥à¤¶ और सामाजिक चेतना उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं।
How to cite this article:
शमà¥à¤à¥‚ पासवान. उषाकिरण खान: ‘à¤à¤¾à¤®à¤¤à¥€’ उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ में सामाजिक, आरà¥à¤¥à¤¿à¤•, परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का यथारà¥à¤¥-चितà¥à¤°à¤£. Int J Appl Res 2019;5(1):484-485.