Vol. 5, Issue 1, Part F (2019)
एस.एच.रज़ा का ज्यामितीय चित्र संसार
एस.एच.रज़ा का ज्यामितीय चित्र संसार
Author(s)
डाॅ. अनिल गुप्ता
Abstractरज़ा का नाम आते ही मन के कैनवास पर विभिन्न ज्यामितीय आकार उभरनें लगते हैं। उनके सम्पूर्ण कला सृजन का प्रमुख आधार ज्यामितीय रूप ही हैं। रज़ा ने फ्रांस में अध्ययन के दौरान वहाँ की तकनीक सीखी लेकिन जड़े भारत में ही रहीं।
रजा के चित्रों का अध्ययन करेगें तो पायेंगे कि उनका कला संसार दो समानांतर जिज्ञासाओं का प्रतिफल है। प्रथम कल्पनाओं का शुद्ध सुघाट्य रूप तथा दूसरा विषय के रूप में प्रकृति का चुनाव दोनों जिज्ञासाऐं एक जगह आकर एक बिंदू पर मिल जाती है।
रजा की कला रचना की शुरूआत बिन्दु से हुई फिर धीरे-धीरे इसमें नये आयामों को जोड़ते गये और एक लम्बी चित्र श्रृंखला को निर्मित किया। रज़ा ज्यामितीय रूपाकारों को सृजनात्मक रूप में स्वीकारते हैं। रूढ़िवादिता के रूप में नहीं।
How to cite this article:
डाॅ. अनिल गुप्ता. एस.एच.रज़ा का ज्यामितीय चित्र संसार. Int J Appl Res 2019;5(1):608-609.