Vol. 5, Issue 10, Part E (2019)
भारत में कार्यकारी नारियों की स्थिति
भारत में कार्यकारी नारियों की स्थिति
Author(s)
डॉ. मेधा कुमारी
Abstract
आज बदलते युग में मजदूर महिलाएँ सड़कों पर मुट्ठी बांधकर आक्रोश के साथ मंचों पर अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाने में सक्षम हैं| एक परिस्थिति धारण के कारण व्यक्ति जो कार्य करता है, वह उस पद की भूमिका होती है| कामकाजी महिलाओं की विविध भूमिका का निर्वाह उन्हें कम या अधिक भूमिका संघर्ष की स्थिति में ला देता है| जैसे उनके पारिवारिक व वैवाहिक जीवन संतान सम्बन्धी एवं स्वास्थय सम्बन्धी दायित्व, निजी नौकरी एवं कामकाज के क्षेत्र में प्रभावित होते हैं| महिलाएं कामकाजी हो तो उनका लाभ उन्हें स्वयं को तो प्राप्त होता है साथ ही पुरुषों की चिंताएं भी कम हो जाती है और पारिवारिक आय पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है| बच्चों को अच्छी व उच्च शिक्षा के साधन प्राप्त होते हैं तथा महिलाओं की वृद्धावस्था की परेशानियाँ भी दूर हो जाती हैं| सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए महिलाओं को अपने समय का उचित प्रबंध भी करना होता है| जिसके बिना वे अपने किसी कार्य को सरलता पूर्वक नहीं कर सकती हैं| कामकाजी होने के कारण उन्हें प्रत्येक कार्य पर विचार करना पड़ता है की कौनसा कार्य कैसे, कब और क्या करें| महिलाएं एक ही समय में कई प्रकार के कार्यों का अपने समय के साथ प्रबंधन कर लेती हैं| पारिवारिक, सामाजिक एवं कामकाजी जीवन में विभिन्न चुनौतियों व तनावों का सामना करते हुए कामकाजी महिलाएं अपने कार्यों पर ध्यान केन्द्रित कर सभी कार्य करने के लिए उचित समय प्रबंधन द्वारा वे अपने परिवार की और संस्थान की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकती हैं| जब अपनी विविध भूमिका में वे असमायोजन एवं अंतर्द्वंद महसूस करती हैं, तो कामकाजी महिलाओं को संघर्ष की स्थिति से गुज़रना पड़ता है|
How to cite this article:
डॉ. मेधा कुमारी. भारत में कार्यकारी नारियों की स्थिति. Int J Appl Res 2019;5(10):351-352.