Vol. 5, Issue 11, Part D (2019)
राजगीर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का à¤à¥Œà¤—ोलिक परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤°à¥‚प : à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
राजगीर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का à¤à¥Œà¤—ोलिक परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤°à¥‚प : à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨
Author(s)
Dr. Sima Kumari
Abstract
परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के विकास में à¤à¥Œà¤—ोलिक सà¥à¤µà¤°à¥‚प का विशेष योगदान रहता है तथा बहà¥à¤¤ से परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ केंदà¥à¤° अपने à¤à¥Œà¤—ोलिक विशेषता के कारण वहीं बहà¥à¤¤ से अपनी सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विरासत के कारण जबकि à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤•, धारà¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤² अपनी सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विलकà¥à¤·à¤£à¤¤à¤¾ à¤à¤µà¤‚ महतà¥à¤¤à¤¾ के फल सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª ही विकसित होते हैं। [1] राजगीर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की à¤à¥Œà¤—ोलिक सà¥à¤µà¤°à¥‚प का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से राजगीर के à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• तथा सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विशेषताओं का विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ करना अति आवशà¥à¤¯à¤• है अतः इस उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ की पूरà¥à¤¤à¤¿ हेतॠइस अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में राजगीर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ सà¥à¤¥à¤²à¥‹à¤‚ के सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प तथा à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि को आधार मानते हà¥à¤ विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ किया गया है।
How to cite this article:
Dr. Sima Kumari. राजगीर कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का à¤à¥Œà¤—ोलिक परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤°à¥‚प : à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨. Int J Appl Res 2019;5(11):271-275.