Vol. 5, Issue 3, Part B (2019)
समसामयिक हिनà¥à¤¦à¥€ ग़ज़ल में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ विमरà¥à¤¶
समसामयिक हिनà¥à¤¦à¥€ ग़ज़ल में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ विमरà¥à¤¶
Author(s)
डाॅ. देवी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦
Abstract
सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-विमरà¥à¤· ने हिनà¥à¤¦à¥€ ग़ज़ल में खूब जगह बनाई है। हिनà¥à¤¦à¥€ ग़ज़लकारों ने नारी को संघरà¥à¤·à¤·à¥€à¤² बनाने का संदेष दिया है। इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपनी ग़ज़लों में सामाजिक खोखलेपन और पà¥à¤°à¥à¤· की सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¤°à¤¤à¤¾ के विरà¥à¤¦à¥à¤§ आवाज उठाई है। ग़ज़लकारों ने नारी-मन की पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• दषा का चितà¥à¤°à¤£ किया गया है। समसामयिक हिनà¥à¤¦à¥€ ग़ज़ल में नारी की संवेदनाओं, दरà¥à¤¦, पीड़ाओं को सशकà¥à¤¤ अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ दी गई है।
How to cite this article:
डाॅ. देवी पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦. समसामयिक हिनà¥à¤¦à¥€ ग़ज़ल में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ विमरà¥à¤¶. Int J Appl Res 2019;5(3):77-80.