Vol. 5, Issue 3, Part D (2019)
हल्दीघाटी एवं वीरवर कुँअर सिंह महाकाव्य राष्ट्रीय जागरण में योगदान
हल्दीघाटी एवं वीरवर कुँअर सिंह महाकाव्य राष्ट्रीय जागरण में योगदान
Author(s)
सीता कुमारी
Abstract
अंग्रेजी शासनकाल में जब श्री श्यामनारायण पाण्डेय ने ‘हल्दीघाटी’ महाकाव्य की रचना की तो पुस्तक अंग्रेजी शासन की आँख में खटकने लगी और अंग्रेजी शासन ने पुस्तक पर रोक लगाई। परतंत्र भारत में राष्ट्रीय जागरण की दृष्टि से ‘हल्दीघाटी’ महत्त्वपूर्ण थी। पाठकों एवं श्रोताओं के हृदय में मातृभूमि को स्वतंत्र कराने की भावनाएँ भड़कने लगती थी। इस प्रकार ’हल्दीघाटी’ के रचना एवं प्रकाशन का समय भारतीय परिप्रेक्ष्य में सर्वथा अनुकूल था। बीसवीं सदी के अंत में प्रकाशित ‘वीरवर कुँअर सिंह’ यद्यपि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक की वीरगाथा है, तथापि इसे अंग्रेजों के विरुद्ध संग्राम काल में किसी प्रकार की चेतना जगाने का श्रेय नहीं प्राप्त है, परंतु वत्र्तमान काल में लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका निभाने वाले नायकों के योगदान, साहस, आदि को बताने में तो योगदान है ही। गम्भीर परिस्थितियों में जहाँ लोग समर्पण कर देते है, वहीं कुँअर सिंह की वीरगाथा अत्यल्प साधनों के साथ गंभीर से गंभीर परिस्थितियों में भी अदम्य साहस के साथ शत्रु से डट कर मुकाबला करते हुए रणनीतिक सूझ-बूझ का प्रयोग कर दुश्मनों को धूल चटाने की है। दोनों ही महाकाव्य राष्ट्रीय चेतना को जगाते है।
How to cite this article:
सीता कुमारी. हल्दीघाटी एवं वीरवर कुँअर सिंह महाकाव्य राष्ट्रीय जागरण में योगदान. Int J Appl Res 2019;5(3):304-307.