Vol. 5, Issue 5, Part D (2019)
पूरà¥à¤µ मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ à¤à¤‚व मूरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤²à¤¾ — à¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£
पूरà¥à¤µ मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ à¤à¤‚व मूरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤²à¤¾ — à¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£
Author(s)
नरेश राम
Abstractपूरà¥à¤µ मधà¥à¤¯à¤¯à¥à¤— में कला और सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में अतà¥à¤¯à¤‚त महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विकास हà¥à¤à¥¤ कषà¥à¤®à¥€à¤°, राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ तथा ओडिषा सहित अनà¥à¤¯ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ मैं सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ और मूरà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤²à¤¾ की विषिषà¥à¤Ÿ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ शैलियां विकसित हà¥à¤ˆà¥¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¦à¥à¤µà¤¿à¤ªà¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤•à¥‚ट, पषà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ चालà¥à¤•à¥à¤¯, पलà¥à¤²à¤µ, होयसल तथा चोलों के संरकà¥à¤·à¤£ में विषाल सà¥à¤¤à¤° पर निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ देखा गया। पूरà¥à¤µ की शताबà¥à¤¦à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨, जब अधिकांष सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ समà¥à¤¬à¤‚धी अवषेषों की पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ बौदà¥à¤§ थी, इस काल में हिंदू मंदिरों का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ कारà¥à¤¯ कहीं अधिक महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हो गया।
षिलà¥à¤ªà¤·à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ (वासà¥à¤¤à¥ और सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ पर लिखे गà¥à¤°à¤‚थ) की परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ संरचना पूरà¥à¤µ मधà¥à¤¯ यà¥à¤— में की गई है। (पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ तथा पूरà¥à¤µ मधà¥à¤¯à¤¯à¥à¤—ीन संरचनाओं में विषेषकर पà¥à¤°à¤¤à¥‹à¤²à¤¿, गोपà¥à¤° तथा तोरण के संदरà¥à¤ में, शासà¥à¤¤à¥à¤° और पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— के बीच वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• समà¥à¤¬à¤‚ध को ढूंढने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया है, इनमें तीन मà¥à¤–à¥à¤¯ मंदिरों में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ शैलियों का वरà¥à¤£à¤¨ मिलता है - नागर, दà¥à¤°à¤µà¤¿à¥œ तथा वेसर। हिमालय से विनà¥à¤§à¥à¤¯ के बीच की à¤à¥‚मि नागर शैली की है कृषà¥à¤£ तथा कावेरी नदियों के बीच की à¤à¥‚मि दà¥à¤°à¤µà¤¿à¥œ शैली की उतà¥à¤•à¤°à¥à¤· à¤à¥‚मि है, जबकि बेसर शैली का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° विनà¥à¤§à¥à¤¯ से कृषà¥à¤£à¤¾ नदी के बीच का है। मंदिर शैलियों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ मंदिरों के विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ अवषेषों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया जा सकता है।
How to cite this article:
नरेश राम. पूरà¥à¤µ मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¤à¥à¤¯ à¤à¤‚व मूरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤²à¤¾ — à¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£. Int J Appl Res 2019;5(5):282-285.