Vol. 5, Issue 7, Part F (2019)
हल्दीघाटी एवं वीरवर कुँअर सिंह वीर महाकाव्य का संक्षिप्त परिचय
हल्दीघाटी एवं वीरवर कुँअर सिंह वीर महाकाव्य का संक्षिप्त परिचय
Author(s)
सीता कुमारी
Abstract
‘हल्दीघाटी’ वरी रस-प्रधान आदि महाकाव्य के निर्माता श्री श्यामनारायण पाण्डेय एवं ‘वीरवर कुँवरसिंह’ राष्ट्रीय चेतना के परिप्रेक्ष्य में जनजागरण का वीर-रस-प्रधान महाकाव्य निर्माता-आरसी प्रसाद सिंह दोनों ही वरी महाकाव्य हिन्दी वीरकाव्य के आकाश में चमकते सितारे जान पड़ते हैं। दोनों अनुपम कृतियाँ जनमानस के लिए नवजागरण का नवीनतम मिशाल है। जिसमें देश काल, राष्ट्रप्रेम, राष्ट्रीय एकता, भाईचारा, आत्मसमर्पण, राष्ट्रयता भरे भाव, वीरता के भावों का वर्णन सर्वत्र दिखाई पड़ता है। महाकवि आरसी सिंह ने कुँवर सिंह के देहाती परिवेश का भी चित्रण किया है। जहाँ एक साथ किसाना और पशुचारक अपने पशुओं के साथ किसी वटवृक्ष की शीलत छाव में प्रचण्ड गर्मी से बचने के लिए विश्राम करते हैं। प्रकृति के प्रति भी अपने भावों की अभिव्यक्ति का सफल प्रयास है। संकट की घड़ी में कवि ने भक्ति भावाभिव्यक्ति का सौन्दर्य ही है। जिसमें आरसी वर्षों की वृद्धावस्था में भी कुँवर सिंह ने अंग्रेजों से लोहो लिया और अपने देश की शान को गौरवान्वित किया। ‘हल्दीघाटी’ के नामक महाराणा प्रताप अपने राज्य की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर देते हैं। वे अपने जीवन का प्रवाह किये बिना ही रणक्षेत्र में जाकर अपने प्रजा की रक्षा के दायित्व का निर्वहन करते हैं। महाराणा प्रताप को मेवाड़ की भूमि से प्रेम था इसलिए मेवाड़ पर मुगलवंश का शासन न हो पाये महाराणा प्रताप ने प्रण किया और अपने दुश्मनों से मुकावला कर धरती को स्वतंत्र रखने की कोशिश अंतिम सांस तक की है।
How to cite this article:
सीता कुमारी. हल्दीघाटी एवं वीरवर कुँअर सिंह वीर महाकाव्य का संक्षिप्त परिचय. Int J Appl Res 2019;5(7):504-506.