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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 5, Issue 7, Part F (2019)

राष्ट्र निर्माण में लोकमान्य तिलक की भूमिका

राष्ट्र निर्माण में लोकमान्य तिलक की भूमिका

Author(s)
डाॅ. राकेश कुमार झा
Abstract
भारतीय राष्ट्र के एक महान निर्माता के रूप में तिलक ने विपुल कीर्तिरष्मि और अमर यष अर्जित किया है। तिलक उच्च कोटि के राजनीतिक नेता थे। वे 1896-97 में स्वराज्य की बात करते थे। उन्होंने 1907 में ही होमरूल का उल्लेख किया था। वे हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा मानते थे। काॅग्रेस प्रजातांत्रिक दल के घोषणा-पत्र में उन्होंने रेलवे के राष्ट्रीयकरण और राजनीति में धर्मनिरपेक्ष अभिविन्यास को स्वीकार किया। भारतीय श्रमिक आंदोलन के राजनीतिक और प्रचारात्मक महत्व को समझने में उन्होंने अनुपम बुद्धिमत्ता और दूरदर्षिता दिखाई। उन्होंने जनता को शक्तिषाली स्वतन्त्रता की भावना की षिक्षा दी। उन्होंने लोगों को अपने बल का अनुभव कराया। वे स्वतन्त्र राजनीतिक जीवन के लिए राष्ट्र की इच्छा के मूर्तिमान रूप थे।
Pages: 525-527  |  766 Views  154 Downloads


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How to cite this article:
डाॅ. राकेश कुमार झा. राष्ट्र निर्माण में लोकमान्य तिलक की भूमिका. Int J Appl Res 2019;5(7):525-527.
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