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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Peer Reviewed Journal

Vol. 6, Issue 1, Part D (2020)

अनुसूचित जाति और आधुनिक शिक्षा: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

अनुसूचित जाति और आधुनिक शिक्षा: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

Author(s)
डॉ. मृत्युंजय कुमार
Abstract
शिक्षा एक ऐसा औजार है जिससे सामाजिक परिवर्तन और विकास का आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। इसके द्वारा मनुष्य अपने जीवन में वांछनीय परिवर्तन और विकास भी ला सकता है। समाज में सबसे कमजोर वर्ग जैसे अनुसूचित जाति जो ऐतिहासिक रूप से शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े हैं, ऐसे समाजिक समूह सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को आधुनिक शिक्षा के माध्यम से अपना समाजिक स्थिति को ऊपर उठा सकते हैं। अनुसूचित जाति भारत में सर्वाधिक वंचित वर्ग है। देश की कुल जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत अनुसूचित जातियां हैं। हालाँकि, हर राज्य में अनुसूचित जाति का आबादी एकसमान नहीं है यानी किसी राज्य में अधिक है तो किसी राज्य में कम है। इस लेख को लिखने में द्वितीयक स्रोतों का सहारा लिया गया है। इससे संबंधित साहित्यों के माध्यम से यह पता लगाने का प्रयास किया गया है कि जाति और शिक्षा के बीच गहरा संबध है। समाज के कमजोर या निम्न वर्गों के बीच शिक्षा एक प्रकार से समाजिक गतिशीलता और परिवर्तन का कारक भी है और इस संदर्भ में संवैधानिक प्रावधानों के के माध्यम से यह पता लगाने का प्रयास किया गया है कि जाति और शिक्षा के बीच गहरा संबध है। समाज के कमजोर या निम्न वर्गों के बीच शिक्षा एक प्रकार से समाजिक गतिशीलता और परिवर्तन का कारक भी है और इस संदर्भ में संवैधानिक प्रावधानों के महत्व की भी चर्चा की गयी है।
Pages: 260-267  |  957 Views  143 Downloads


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How to cite this article:
डॉ. मृत्युंजय कुमार. अनुसूचित जाति और आधुनिक शिक्षा: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन. Int J Appl Res 2020;6(1):260-267.
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