Vol. 6, Issue 10, Part B (2020)
कामकाजी महिलाएँः समस्याएँ एवं समाधान (वत्र्तमान परिवेश के संदर्भ में)
कामकाजी महिलाएँः समस्याएँ एवं समाधान (वत्र्तमान परिवेश के संदर्भ में)
Author(s)
संगीता कुमारी
Abstract
भारत में यदि नारी मुक्ति का बिगुल बजा है तो केवल एक ही सुर में, यानी महिलाओं को घर की चहारदीवारी से बाहर निकलकर कामकाज में संलग्न कर दीजिए और समझ लीजिए कि बहुत बड़ा अहसान महिलाओं के ऊपर कर दिया है, किंतु यह यक्ष प्रश्न हमेशा रहेगा कि क्या सचमुच महिलाओं के घर से निकलने तथा कामकाजी होने मात्र से उनकी समस्याओं का निदान हो जाएगा? या क्या वे वास्तव में शोषण से मुक्त हो जाएँगी? आजादी के बाद नारी शिक्षा की स्थिति में सुधार के कारण उच्च मध्यवर्गीय के साथ-साथ आम शहरी मध्यवर्गीय परिवारों की नारियाँ भी शिक्षित हुई और उन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश की। कई महिलाओं ने उसमें सफलता भी प्राप्त की, लेकिन पितृवादी सोच हमेशा उनके आड़े आती है, जो उनकी परेशानियों का कारण बनती है। घर के बाहर की समस्या ऑफिस में अभी भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या कम। फलतः वे पूरी तरह से सहज नहीं हो पाती हैं।
How to cite this article:
संगीता कुमारी. कामकाजी महिलाएँः समस्याएँ एवं समाधान (वत्र्तमान परिवेश के संदर्भ में). Int J Appl Res 2020;6(10):94-96.