Contact: +91-9711224068
International Journal of Applied Research
  • Multidisciplinary Journal
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

IMPACT FACTOR (RJIF): 8.4

Vol. 6, Issue 10, Part M (2020)

अश्वघोष के काव्य में वर्णित कपिलवस्तु का वैभव

अश्वघोष के काव्य में वर्णित कपिलवस्तु का वैभव

Author(s)
डॉण् रचना सिंह
Abstract
संस्कृत वाङ्मय में अश्वघोष का नाम उन कवियों में समाहित है जिन्होंने संस्कृत साहित्य को पल्लवित.पुष्पित होने के लिए अपने अक्षय कृतियों से सिंचित किया है। जिस भूमि पर कालिदास का साहित्य लहलहा उठा उस भूमि को उर्वर बनाने में अश्वघोष की महती भूमिका है। अश्वघोष की रचनाओं के संदर्भ में काफी खोजबीन के बाद भी अनेक प्रकार के संशय अभी विद्यमान हैं । यह तो अस्पष्ट हो चुका है कि सौन्दरनन्दं महाकाव्य एवं बुद्धचरित महाकाव्य अश्वघोष की रचनाएं ही हैं । इन काव्यों को लेकर भी विवाद की एक लंबी परंपरा रही है लेकिन इन सभी को सुलझाते हुए अब एकमत से इस तथ्य को स्वीकार लेने में कोई संकोच नहीं है कि ये दोनों ही रचनाएं अश्वघोष कृत हैं । इन रचनाओं पर अश्वघोष की धार्मिक मान्यताओं का स्पष्ट छाप लक्षित है। कोई भी साहित्यकार अपने साहित्य में अपनी मान्यताओं को स्थापित अवश्य करता है । अश्वघोष ने बुद्ध चरित्र की रचना करते हुए महात्मा बुद्ध की उपलब्धियोंए उनके जीवन संघर्षोंए उनके संदेशों और उनकी मान्यताओं को प्रमुखता से स्थापित करने का कार्य किया । वही सौन्दरनन्दं में जीवन दर्शन को और अधिक व्यापकता से वर्णित करते हुए बौद्ध धर्म से पहले की मान्यताओं को सामने रखकर बौद्ध मत को ऊंचा दिखलाया गया है। सौन्दरनन्दं महाकाव्य में कवि ने इस तथ्य को स्पष्ट रूप से स्थापित कर दिया कि जो सांसारिकता और सांसारिक जीवन में लिप्त होकर जीवन गुजार रहे हैं उनके लिए मुक्ति संभव नहीं है मुक्ति का मार्ग बौद्ध धर्म की मान्यताओं के अनुरूप ही मिल पाना संभव है । सौन्दरनन्दं और बुद्धचरित दोनों ही महाकाव्य भगवान बुद्ध को केंद्र में रखकर रचे गये हैं । दोनों ही महाकाव्यों में कथाभूमि कपिलवस्तु रही हैए जहां भगवान बुद्ध का अवतरण हुआ । कपिलवस्तु एक समृद्ध राज्य था। उसके वैभव का वर्णन सौन्दरनन्दं में एक अलग सर्ग की आवश्यकता तलाश लेता है । वहां कपिलवस्तु के वैभव का वर्णन करते हुए उसके प्राकृतिक सौंदर्ए उसके ऐश्वर्यए उसके धन.धान्य से पूरित होनाए वहां शिक्षा के महत्व को रेखांकित करने से लेकर वहां की राजनीतिए अर्थनीति आदि को भी स्पष्ट रुप में उजागर किया गया है। इस शोध आलेख में अश्वघोष के काव्य में कपिलवस्तु का जो वैभव दिखलाया गया है उसे रेखांकित करना है ।
Pages: 790-793  |  852 Views  76 Downloads
How to cite this article:
डॉण् रचना सिंह. अश्वघोष के काव्य में वर्णित कपिलवस्तु का वैभव . Int J Appl Res 2020;6(10):790-793.
Call for book chapter
International Journal of Applied Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals