Vol. 6, Issue 11, Part A (2020)
राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में बाल गंगाधर तिलक का योगदान
राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में बाल गंगाधर तिलक का योगदान
Author(s)
डा॰ प्रभाकर झा
Abstract
लोकमान्य तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को ब्रिटिश भारत में वर्तमान महाराष्ट्र स्थित रत्नागिरी जिले के एक गाँव चिखली में हुआ था। ये आधुनिक कालेज शिक्षा पाने वाली पहली भारतीय पीढ़ी में से एक थे। इन्होंने कुछ समय तक स्कूल और कालेजों में गणित पढ़ाया। अंग्रेजी शिक्षा के ये घोर आलोचक थे और मानते थे कि यह भारतीय सभ्यता के प्रति अनादर सिखाती है। इन्होंने दक्कन शिक्षा सोसायटी की नहित के कार्यों में लगे रहने तथा सरकारी नौकरी न करने का निश्चय किया और अपने मित्र गोपाल गणेश आगरकर के सास्थापना की ताकि भारत में शिक्षा का स्तर सुधरे। उन्होंने मिलकर एक अँग्रेजी स्कूल स्थापित किया। बाल गंगाधर तिलक (अथवा लोकमान्य तिलक, मूल नाम केशव गंगाधर तिलक, एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे। ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अपहले लोकप्रिय नेता हुए। ब्रिटिश औपनिवेशिक प्राधिकारी उन्हें ‘‘भारतीय अशान्ति के पिता‘‘ कहते थे। उन्हें, ‘‘लोकमान्य‘‘ का आदरणीय शीर्षक भी प्राप्त हुआ, जिसका अर्थ हैं लोगों द्वारा स्वीकृत। लोकमान्य तिलक जी ब्रिटिश राज के दौरान स्वराज के सबसे पहले और मजबूत अधिवक्ताओं में से एक थे, तथा भारतीय अन्तःकरण में एक प्रबल आमूल परिवर्तनवादी थे। बालगंगाधर तिलक की राजनीतिक विचारधारा अन्य समकालीन विचारकों से भिन्न थी।तिलक की सजा भारतीय संघर्ष के इतिहास में अत्यधिक महत्त्व रखती है, क्योंकि इससे पहले किसी पर राजद्रोह के आरोप में मुकदमा नहीं चला था। अँग्रेजी सरकार की चुनौती से आत्म-विश्वास,त्याग,बलिदान और कष्ट सहन करने के नये अध्याय का श्रीगणेश हुआ।
How to cite this article:
डा॰ प्रभाकर झा. राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में बाल गंगाधर तिलक का योगदान. Int J Appl Res 2020;6(11):04-07.