Vol. 6, Issue 3, Part D (2020)
राजस्थानी लघु चित्र-परम्परा में चित्र संयोजन
राजस्थानी लघु चित्र-परम्परा में चित्र संयोजन
Author(s)
डॉ. अरविन्द मैन्दोला
Abstract
राजस्थानी लघुचित्र शैली के परम्परागत संयोजन के कला तत्व एवं तकनीकी अंकन पद्धतियों की नवीन विधाऐ तथा रूपों का अभिप्राय अपना विषेष महत्व रखते हैं। राजस्थानी लघुचित्रों में शास्त्रीय सिद्धान्तों का प्रतिपादन हुआ हैं। इन चित्रों की महत्वपूर्ण विषेषताऐ दर्षक के मनोभावों के अनुरूप सौन्दर्यात्मक अनुभूति देने तक पूर्ण सक्षम रहे हैं। चित्र संयोजन में सहयोग, सामंजस्य, संतुलन प्रभाविता, प्रमाण एवं आकर्षण के सिद्धान्त महत्वपूर्ण माने गये हैं। यहाँ के लघु-चित्र उपरोक्त सभी गणों से युक्त माने गये हैं। आवृत्ति द्वारा लयात्मकता लघुचित्रों की निजी विषेषता हैं। अजन्ता शैली की तरह लम्बी रेखाओं द्वारा अंकन प्रवाह और लयात्मकता का भाव प्रदर्षित करती है जिन्हें हम यहाँ के लघुचित्रों में देख सकते हैं।
How to cite this article:
डॉ. अरविन्द मैन्दोला. राजस्थानी लघु चित्र-परम्परा में चित्र संयोजन. Int J Appl Res 2020;6(3):241-242.