Vol. 6, Issue 6, Part C (2020)
समकालीन हिन्दी कथा-साहित्य में परिसर-विमर्श
समकालीन हिन्दी कथा-साहित्य में परिसर-विमर्श
Author(s)
सुधा कुमारी
Abstract
समाजिक सरोकारों से लैस बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं के बीच लंबे समय से यह लगातार चर्चा और चिंता का विषय रहा है कि ‘समकालीन हिन्दी कथा-साहित्य अनेक विमर्शों सहित ‘परिसर-विमर्श’ से भी संबंधित है, जिस प्रकार हिन्दी कथा-साहित्य, जिसे कथा, कहानी, आलोचना, कविता इत्यादि मानवीय संवेदनाओं की वाहक विधा के रूप में देखा जाता है वह दलित, स्त्री, अल्पसंख्यक तथा अन्य हाशिए के विमर्शों को किस रूप में चित्रित करता है? साहित्य अपने यर्थाथवादी होने के दावे के बावजूद इन मूल अवधारणाओं को रेखांकित कर उस पर आम जन के बीच किसी किस्म की संवेदना को विकसित कर पाने में सफल हो पाया है?
How to cite this article:
सुधा कुमारी. समकालीन हिन्दी कथा-साहित्य में परिसर-विमर्श. Int J Appl Res 2020;6(6):173-174.