Vol. 6, Issue 6, Part F (2020)
जनकवि नागारà¥à¤œà¥à¤¨
जनकवि नागारà¥à¤œà¥à¤¨
Author(s)
डाॅ0 सोनी
Abstract
जनकवि नागारà¥à¤œà¥à¤¨ आम जनता की समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं के अमर उदà¥à¤—ायक थे। वे à¤à¤• कवि के साथ ही à¤à¤• सामाजिक राजनीतिक संघरà¥à¤·à¥‹ के जà¥à¤à¤¾à¤°à¥‚ कारà¥à¤¯à¤•à¤°à¤¤à¤¾ à¤à¥€ थे। जनसरोकार उनकी पहली पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ थी। नागारà¥à¤œà¥à¤¨ की कविता अपने समय और समाज की विसंगतियो, विकृतियों, का यथारà¥à¤¥ चितà¥à¤° पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करती है, इनकी अधिकांश कविताà¤à¤‚ राजनीतिक है, जिनमें अधिकतर वà¥à¤¯à¤‚गपूरà¥à¤£ हैं, जो राजनीति समसà¥à¤¤ जीवन वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का सामाजिक ढांचे का आरà¥à¤¥à¤¿à¤•-सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संबंधों का नीतियों का नियामक ततà¥à¤µ बन गई है, नागारà¥à¤œà¥à¤¨ उसकी विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ परिधि को अपनी कविताओं में समेटने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते हैं।
How to cite this article:
डाॅ0 सोनी. जनकवि नागारà¥à¤œà¥à¤¨. Int J Appl Res 2020;6(6):374-377.