Vol. 6, Issue 7, Part G (2020)
सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ दीपक के नाटकों में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ शैलियाà¤
सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ दीपक के नाटकों में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ शैलियाà¤
Author(s)
मà¥à¤•à¥‡à¤¶ कà¥à¤®à¤¾à¤° महतो
Abstract
सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ दीपक के नाटक अनà¥à¤à¥‚ति à¤à¤µà¤‚ अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से मारà¥à¤®à¤¿à¤• बन पड़े हैं। इनके नाटकों में नाटà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤à¥‚ति से पूरà¥à¤£ पातà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤•à¥‚ल à¤à¤¾à¤·à¤¾ का समरà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— पाया जाता है। पातà¥à¤°à¥‹à¤‚ के बाहय à¤à¤µà¤‚ आंतरिक जीवन में संघरà¥à¤·- चेतना की और संवेदना की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤‚जना में à¤à¤¾à¤·à¤¾ à¤à¤µà¤‚ शैली की à¤à¥‚मिका निरà¥à¤£à¤¾à¤¯à¤• पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤¤ होती है। इन नाटकों में à¤à¤¾à¤·à¤¾ à¤à¤µà¤‚ शैली के समरà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आधà¥à¤¨à¤¿à¤• बोध की वà¥à¤¯à¤‚जना हà¥à¤ˆ है और पà¥à¤°à¤®à¥à¤– à¤à¤µà¤‚ गौण चरितà¥à¤°à¥‹à¤‚ की विशेषताओं का दà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¨ à¤à¥€ हà¥à¤† है। शबà¥à¤¦-चयन में नाटककार सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ दीपक की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ सराहनीय है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सरà¥à¤œà¤¨à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ और रंग-ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ से पूरà¥à¤£ बोलचाल की पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया है। पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• à¤à¤µà¤‚ अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤‚जनापूरà¥à¤£ à¤à¤¾à¤·à¤¾-शैली के कारण सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ के नाटक अपनी अलग पहचान रखते हैं।
How to cite this article:
मà¥à¤•à¥‡à¤¶ कà¥à¤®à¤¾à¤° महतो. सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ दीपक के नाटकों में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ शैलियाà¤. Int J Appl Res 2020;6(7):538-542.