Vol. 6, Issue 8, Part C (2020)
जयपà¥à¤° à¤à¤¿à¤¤à¤¿à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अलंकरण में कà¥à¤·à¥ˆà¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ
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Author(s)
डॉ. अरविनà¥à¤¦ मैनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¾
Abstract
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ कला में अतीत से वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ तमक विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ शैलियों का विकास होता है। किसी à¤à¥€ शैली में विकास में दूसरी शैली का à¤à¥€ सहयोग रहता है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ चितà¥à¤° परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ में पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• शैली का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ à¤à¤• दूसरे पर आधारित है जैसे मà¥à¤—ल कला ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ शैली से कà¥à¤› ततà¥à¤µ गà¥à¤°à¤¹à¤£ किये तथा कà¥à¤› ततà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ à¤à¥€ किये। जयपà¥à¤° à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤à¤¿ चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ में अलंकरणों पर à¤à¥€ बाहरी ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ देखने को मिलता हैं। पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤à¤¿à¤•à¤¾ अलंकरण जैन या अपà¤à¥à¤°à¥à¤°à¤‚ष शैली से पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ रहे जिससे अलंकरणों में सरलीकृत आकार, सपाट रंग, à¤à¤µà¤‚ कठोर रेखाये देखने को मिलती है। 17 à¤à¤µà¤‚ 18 शताबà¥à¤¦à¥€ में गà¥à¤—ल पà¥à¤°à¥à¤°à¤à¤¾à¤µ के कारण अरà¥à¤¦à¥à¤§ वृताकार वृरà¥à¤¤ में संयोजन मिलता हैं। मà¥à¤—ल काल के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से बारीक रेखाकंन, पषà¥-पकà¥à¤·à¥€ चितà¥à¤°à¤£, हाषियों में अलंकरण दिखाई देता है।
How to cite this article:
डॉ. अरविनà¥à¤¦ मैनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¾. जयपà¥à¤° à¤à¤¿à¤¤à¤¿à¤šà¤¿à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अलंकरण में कà¥à¤·à¥ˆà¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ. Int J Appl Res 2020;6(8):215-217.