Vol. 6, Issue 9, Part B (2020)
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सम्भावनाएँ एवं चुनौतियाँ
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सम्भावनाएँ एवं चुनौतियाँ
Author(s)
प्रेम परिहार
Abstract
भारत प्राचीनकाल से ही विश्वगुरू रहा है। अपने उच्च स्तरीय शिक्षा स्थलों जैसे नालन्दा, तक्षशिला आदि के बल पर इसकी तूती पूरे विश्व में बोलती थी। देश विदेश के विद्यार्थी यहाँ शिक्षा ग्रहण करने को आते थे। शिक्षा स्थल ही वो केन्द्र बिंदु है जहांँ से राष्ट्र का निर्माण और विनाश दोनों ही सम्भव हो सकते है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को सहभागी बनाया गया है। जिसमें 2 लाख सुझावों का सहारा लिया गया है। इस नीति में न केवल वर्तमान युवा पीढ़ी को ध्यान में रखा गया है बल्कि आने वाली पीढ़ी की अपेक्षाओं, आकांक्षाओं व चुनौतियों का भी ध्यान रखा गया है। उच्च शिक्षा में सामान्य नामांकन अनुपात को 2035 तक 26.3 प्रतिशत (वर्तमान में)से बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक लाना है। उच्च शिक्षा में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा एवं डिग्री पाठ्यक्रमों को शामिल किया जाएगा। देश में 34 सालों बाद नई शिक्षा नीति आई है जो शोधपरक, नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देती है। सरकार का यह प्रयास है कि 45 हजार से अधिक महाविद्यालयों और 15 लाख से अधिक स्कूलों में नई शिक्षा नीति के अनुरूप परिवर्तन किया जाए। सरकार का ऐसा प्रयास है कि तेजी से बदलते सामाजिक आर्थिक वैश्विक परिवेश में देश के युवाओं को सक्षम बनाया जाए। नई नीति का विजन ही ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित करना है जिसमें भारतीय परम्पराओं और मूल्यों को जगह मिले। शिक्षा प्रणाली में इण्डिया की जगह भारत की झलक मिले। उच्च शिक्षा में सरकार द्वारा जो खर्च किया रहा है उसे अधिक तार्किक एवं लक्ष्य केन्द्रित बनाने की जरूरत है। आज तकनीकी शिक्षा में विज्ञान और इंटरनेट सम्बन्धी विषय अंग्रेजी में ही होते है। जिनका हिंदीकरण किया जाना आसान कार्य नहीं है। ऐसी दशा में यदि हमारा पूरा फोकस हिन्दी, मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं पर रहेगा तो देश में रोजगाार के अवसरों में कमी होगी और हम तकनीकी और आर्थिक विकास की दृष्टि से काफी पिछड़ जाएंगें।
How to cite this article:
प्रेम परिहार. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सम्भावनाएँ एवं चुनौतियाँ. Int J Appl Res 2020;6(9):109-111.