Vol. 7, Issue 1, Part E (2021)
परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ शिकà¥à¤·à¤¾ अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अà¤à¤¿à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿
परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ शिकà¥à¤·à¤¾ अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अà¤à¤¿à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿
Author(s)
अबà¥à¤² हसनात अशरफ, डॉ. मसूद आलम खान
Abstractपरà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण की समसà¥à¤¯à¤¾ आज के समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विशà¥à¤µ की à¤à¤• विराट समसà¥à¤¯à¤¾ है। न केवल à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे विकासशील राषà¥à¤Ÿà¥à¤° वरन समसà¥à¤¤ विकसित राषà¥à¤Ÿà¥à¤° à¤à¥€ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के दà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ से तà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ हैं। परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण वासà¥à¤¤à¤µ में विकास तथा जनसंखà¥à¤¯à¤¾ वृदà¥à¤§à¤¿ का सह-पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ है। विकास की अंधाधà¥à¤‚ध दौड़ में पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• साधनों के उपयोग करने के लिठमानव पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से छेड़छाड़ कर रहा है, तथा जनसंखà¥à¤¯à¤¾ वृदà¥à¤§à¤¿ पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के इस दोहन को और à¤à¥€ अधिक बà¥à¤¾ देती है, जिसके फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प पारिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤•à¥€ संतà¥à¤²à¤¨ गड़बड़ा गया है। जीव-जनà¥à¤¤à¥ व वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ की अनेक पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿ विलà¥à¤ªà¥à¤¤ हो चà¥à¤•à¥€ है, जबकि अनà¥à¤¯ अनेक पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ खतरे में है। पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶, शोर व पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण के कारण जीव-जनà¥à¤¤à¥à¤“ं की दिनचरà¥à¤¯à¤¾ पर कà¥à¤ªà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ रहा है। यहाठतक की उनकी पà¥à¤°à¤œà¤¨à¤¨ कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ में परिवरà¥à¤¤à¤¨ आ रहा है तथा पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• संतà¥à¤²à¤¨ बिगड़ रहा है। परिणामतः वैशà¥à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤¤à¤° पर परà¥à¤¯à¤¾ वरण पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण की समसà¥à¤¯à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो गरà¥à¤‡ हैं जिसके शीघà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¥€à¤˜à¥à¤° निराकरण की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है।
How to cite this article:
अबà¥à¤² हसनात अशरफ, डॉ. मसूद आलम खान. परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ शिकà¥à¤·à¤¾ अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संरकà¥à¤·à¤£ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अà¤à¤¿à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿. Int J Appl Res 2021;7(1):366-371.