Vol. 7, Issue 11, Part E (2021)
शिवमूरà¥à¤¤à¤¿ के कथा साहितà¥à¤¯ में पारिवारिक जीवन की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿
शिवमूरà¥à¤¤à¤¿ के कथा साहितà¥à¤¯ में पारिवारिक जीवन की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿
Author(s)
ममता कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€
Abstract
समकालीन कथाकारों में शिवमूरà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ कथाकार हैं, जिसने उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ के जन जीवन की समगà¥à¤°à¤¤à¤¾ को अपनी कहानियों तथा उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹à¤‚ में समेटता है। वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ से लेकर परिवार और समाज उनकी रचनाओं में अपने यथारà¥à¤¥ रूप में अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हà¥à¤† है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने रचनाओं के केनà¥à¤¦à¥à¤° में किसी न किसी परिवार को अनिवारà¥à¤¯ रूप से रखा है। उनकी कहानी, ‘कसाईबाड़ा’, ‘तिरिया चरितर’, ‘खबà¥à¤œà¤¾, ओ मेरे पीर, ‘केशर-कसà¥à¤¤à¥‚री’, ‘कà¥à¤šà¥à¤šà¥€ का कानून’ तथा उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ ‘तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल’, और ‘आखिरी छलांग’ में उनकी पारिवारिक चेतना दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—त होती है। उनके पातà¥à¤° लाख विपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के बाद à¤à¥€ अपने परिवार को नहीं छोड़ता है। निजी सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ से ऊपर उठकर ये पातà¥à¤° à¤à¤• वफादार पारिवारिक सदसà¥à¤¯ का उदाहरण बनता है। शिवमूरà¥à¤¤à¤¿ के कथा-साहितà¥à¤¯ में अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ परिवार निशà¥à¤šà¤¯ ही अनà¥à¤•à¤°à¤£à¥€ है।
How to cite this article:
ममता कà¥à¤®à¤¾à¤°à¥€. शिवमूरà¥à¤¤à¤¿ के कथा साहितà¥à¤¯ में पारिवारिक जीवन की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿. Int J Appl Res 2021;7(11):354-360.