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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 7, Issue 3, Part C (2021)

स्त्री की उन्नायिका नासिरा शर्मा

स्त्री की उन्नायिका नासिरा शर्मा

Author(s)
राहुल कुमार
Abstract
स्त्रीयों के उन्नयन और आत्मनिर्भरता का प्रश्न हमेशा सामाज में उठता रहा है। स्त्रीयों को सम्मान और बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए ‘नासिरा शर्मा‘ अपने उपन्यास में और कहानियों में प्रयासरत दिखती हैं, नारी का सम्मान एक सभ्य समाज का, निर्माण करता है। समाज कितना सभ्य और सुसंस्कृत है, इसका पता नारी की स्थिति को देखकर चलता है। सामाज में अधिकांश व्यक्ति नारी का सम्मान और उनके गरिमा का ख्याल रखते हैं। लेकिन कुछ विकृत मानसिकता के लोग भी समाज में है, जो स्त्रीयों को घर की नौकरानी की तरह देखते हैं। अधिकांश ऐसे लोग भी है जो स्त्रीयों को पुरूष के बराबर दर्जा देने के पक्षधर नहीं हैं। इन्ही बातों को ध्यान में रखकर ‘नासिरा जी‘ नारी मुक्ति और नारी आत्मनिर्भरता को अपने लेखन में अधिक महत्व देती हैं।
Pages: 143-144  |  934 Views  494 Downloads
How to cite this article:
राहुल कुमार. स्त्री की उन्नायिका नासिरा शर्मा. Int J Appl Res 2021;7(3):143-144.
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