Vol. 7, Issue 4, Part A (2021)
महातà¥à¤®à¤¾ फà¥à¤²à¥‡à¤œà¥€ के कावà¥à¤¯ में जनकà¥à¤°à¤¾à¤‚ती की चेतना
महातà¥à¤®à¤¾ फà¥à¤²à¥‡à¤œà¥€ के कावà¥à¤¯ में जनकà¥à¤°à¤¾à¤‚ती की चेतना
Author(s)
डाॅं. विदà¥à¤¯à¤¾ शशिशेखर शिंदे
Abstractमहातà¥à¤®à¤¾ फà¥à¤²à¥‡à¤œà¥€ बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ काल के जनकà¥à¤°à¤¾à¤‚ती के जनक माने जाते हैं। पूरे विशà¥à¤µ में महातà¥à¤®à¤¾ फà¥à¤²à¥‡à¤œà¥€ समाजसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• के रà¥à¤ª में पहचानते हैं। लेकिन उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उस समय को पहचानकर समाज को जगाने के लिठकावà¥à¤¯ की रचना à¤à¥€ उचà¥à¤šà¤¤à¤® रà¥à¤ª में की हैं। उनके समाज सà¥à¤§à¤¾à¤° के सामने उनका कवि रà¥à¤ª पिछे रह गया। महिलाओं के लिठउनका कारà¥à¤¯ सराहनीय हैं। अपनी पतà¥à¤¨à¥€ कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिजà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥€ सावितà¥à¤°à¥€à¤¬à¤¾à¤ˆ फà¥à¤²à¥‡ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शिकà¥à¤·à¤¾ का पवितà¥à¤° कारà¥à¤¯ आरंठकिया। इस काम के साथ साथ दूसरी तरफ निमà¥à¤¨à¤µà¤°à¥à¤—ीय समाज के लिठकावà¥à¤¯ के माधà¥à¤¯à¤® से शिकà¥à¤·à¤¾ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जागरà¥à¤• करना आरंठकिया था। बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¥€à¤¶ लोग शिकà¥à¤·à¤¾ के माधà¥à¤¯à¤® से लोंगों में उचà¥à¤š नीचता का à¤à¥‡à¤¦à¤à¤¾à¤µ कर रहे थे वह उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पसंद नहीं था। तब उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने लोगों के मन के à¤à¥€à¤¤à¤° मानवता का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ जगाया। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ काल में à¤à¥€ इसी तरह शिकà¥à¤·à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में जागरà¥à¤•à¤¤à¤¾ की जरà¥à¤°à¤¤ महसूस होती हैं।
उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶
1. महातà¥à¤®à¤¾ फà¥à¤²à¥‡à¤œà¥€ का साहितà¥à¤¯ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में योगदान पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करना।
2. उनके समाजसà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• रà¥à¤ª के साथ साथ कवि के रà¥à¤ª में पहचान कराना।
3. उनकी कविता मानवतावादी चेतना को अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती हैं।
4. वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ काल को à¤à¥€ उनकी कविताà¤à¤‚ चेतावनी देती हैं।
How to cite this article:
डाॅं. विदà¥à¤¯à¤¾ शशिशेखर शिंदे. महातà¥à¤®à¤¾ फà¥à¤²à¥‡à¤œà¥€ के कावà¥à¤¯ में जनकà¥à¤°à¤¾à¤‚ती की चेतना. Int J Appl Res 2021;7(4):42-44.