Contact: +91-9711224068
International Journal of Applied Research
  • Multidisciplinary Journal
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

TCR (Google Scholar): 4.11, TCR (Crossref): 13, g-index: 90

Peer Reviewed Journal

Vol. 7, Issue 4, Part A (2021)

महात्मा फुलेजी के काव्य में जनक्रांती की चेतना

महात्मा फुलेजी के काव्य में जनक्रांती की चेतना

Author(s)
डाॅं. विद्या शशिशेखर शिंदे
Abstract
महात्मा फुलेजी ब्रिटिश काल के जनक्रांती के जनक माने जाते हैं। पूरे विश्व में महात्मा फुलेजी समाजसुधारक के रुप में पहचानते हैं। लेकिन उन्होंने उस समय को पहचानकर समाज को जगाने के लिए काव्य की रचना भी उच्चतम रुप में की हैं। उनके समाज सुधार के सामने उनका कवि रुप पिछे रह गया। महिलाओं के लिए उनका कार्य सराहनीय हैं। अपनी पत्नी क्रांतिज्योती सावित्रीबाई फुले के द्वारा शिक्षा का पवित्र कार्य आरंभ किया। इस काम के साथ साथ दूसरी तरफ निम्नवर्गीय समाज के लिए काव्य के माध्यम से शिक्षा के प्रति जागरुक करना आरंभ किया था। ब्रिटीश लोग शिक्षा के माध्यम से लोंगों में उच्च नीचता का भेदभाव कर रहे थे वह उन्हें पसंद नहीं था। तब उन्होंने अपने लोगों के मन के भीतर मानवता का एहसास जगाया। वर्तमान काल में भी इसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में जागरुकता की जरुरत महसूस होती हैं।
उद्देश
1. महात्मा फुलेजी का साहित्य के क्षेत्र में योगदान प्रस्तुत करना।
2. उनके समाजसुधारक रुप के साथ साथ कवि के रुप में पहचान कराना।
3. उनकी कविता मानवतावादी चेतना को अभिव्यक्ति प्रदान करती हैं।
4. वर्तमान काल को भी उनकी कविताएं चेतावनी देती हैं।
Pages: 42-44  |  815 Views  134 Downloads


International Journal of Applied Research
How to cite this article:
डाॅं. विद्या शशिशेखर शिंदे. महात्मा फुलेजी के काव्य में जनक्रांती की चेतना. Int J Appl Res 2021;7(4):42-44.
Call for book chapter
International Journal of Applied Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals