Vol. 7, Issue 8, Part E (2021)
गीता का निषà¥à¤•à¤¾à¤® करà¥à¤®à¤¯à¥‹à¤—
गीता का निषà¥à¤•à¤¾à¤® करà¥à¤®à¤¯à¥‹à¤—
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अà¤à¤¿à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¨ पाणà¥à¤¡à¥‡à¤¯
Abstractकरà¥à¤® का सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ हिनà¥à¤¦à¥‚ या à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ धरà¥à¤® का मूल है। करà¥à¤® का अरà¥à¤¥ है कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤§à¥à¤‚बजधà¥à¤‚बजपवदधà¥à¤šà¤®à¤¤à¤µà¤¿à¤¤à¤‰à¤‚दबमधà¥à¤•à¤¨à¤œà¤² करà¥à¤® के दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° है:-
1. सकाम करà¥à¤®
2. निषà¥à¤•à¤¾à¤® करà¥à¤®
सकाम करà¥à¤® वे करà¥à¤® होते है जो हमें जनà¥à¤®-मरण के चकà¥à¤° में बाà¤à¤§à¥‡ रहते है, हम इनसे मà¥à¤•à¥à¤¤ नहीं होते। यह करà¥à¤® का पà¥à¤°à¤¥à¤® चरण होता है। सामानà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के करà¥à¤® करते है। संपूरà¥à¤£ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ जमा व खरà¥à¤š का ही खेल है। इचà¥à¤›à¤¾ फल-à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ यही इसके मूल है।
निषà¥à¤•à¤¾à¤® करà¥à¤® हमें बंधन में नहीं बाà¤à¤§à¤¤à¥‡ है, यही हमें मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ दिला सकते है, यह करà¥à¤® केेवल करà¥à¤® की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से ही किये जाते है न कि फल की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से निषà¥à¤•à¤¾à¤® करà¥à¤® ही शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¥à¤à¤—वदगीता का मूल है। यही केवल मूल रूप से समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ के करà¥à¤® को फल की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ से न करने का मूल à¤à¥€ है। चितà¥à¤¤ के शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का मूल à¤à¥€ निषà¥à¤•à¤¾à¤® करà¥à¤® ही है।
शà¥à¤°à¥€à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤£ इसे ’निषà¥à¤•à¤¾à¤® करà¥à¤®-योग’ कहते है जो साधना का आदरà¥à¤¶ यानी साधà¥à¤¯ व साधना दोनो है। यही जीवन की सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ को अà¤à¤¿à¤à¥‚त करने का आदरà¥à¤¶ à¤à¥€ है।
How to cite this article:
अà¤à¤¿à¤¨à¤¨à¥à¤¦à¤¨ पाणà¥à¤¡à¥‡à¤¯. गीता का निषà¥à¤•à¤¾à¤® करà¥à¤®à¤¯à¥‹à¤—. Int J Appl Res 2021;7(8):353-355.