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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 8, Issue 4, Part A (2022)

बाणसागर परियोजना: रीवा जिले में जल उपयोग का भौगोलिक अध्ययन

बाणसागर परियोजना: रीवा जिले में जल उपयोग का भौगोलिक अध्ययन

Author(s)
राजकुमार कुशवाहा एवं डाॅ. सुशीला द्विवेदी
Abstract
अत्यधिक भूमिगत जल के उपयोग में कई समस्यायें उत्पन्न हुई है वास्तव में भूमिगत जल का उपयोग बैंक बचत की तरह किया जाना चाहिए। क्या होगा? यदि बैंक में जमा बचत को निकाल लिया जाये। यदि यह जमा होगा तो इसका बोनस कभी भी प्राप्त किया जा सकता है। सामान्यतः पृथ्वी पर जल की मात्रा इसी अनुसार बहती है वर्तमान में भूमि पर जल बहुत ही कम मात्रा में एकत्रित किया जा रहा है एवं यह इसके कई तरह से बहने में वृद्धि हुई है। आज तालाबों का पानी बह जाता है और भू-जल तल में गिरावट दर्ज की जा रही है। इसी प्रकार भूमिगत जल के अत्यधिक उपयोग के कारण भू-जल तल का लेवल गिरता जा रहा है। बाणसागर परियोजना द्वारा विद्युत उत्पादन के विकास में काफी योगदान किया है। परियोजना के अन्तर्गत 4 विद्युत गृहों से 425 मेगा वाट जल विद्युत का उत्पादन किया जा रहा हैं। इस परियोजना के सहयोग से आज जिले में निरंतर विद्युत का उत्पादन हो रहा है तथा जिले में 24 घण्टे विद्युत की आपूर्ति प्राप्त हो रही है। बाणसागर परियोजना की चार इकाईयाँ विद्युत उत्पादन का कार्य कर रही है।
Pages: 11-15  |  670 Views  264 Downloads


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How to cite this article:
राजकुमार कुशवाहा एवं डाॅ. सुशीला द्विवेदी. बाणसागर परियोजना: रीवा जिले में जल उपयोग का भौगोलिक अध्ययन. Int J Appl Res 2022;8(4):11-15.
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