Vol. 8, Issue 6, Part H (2022)
प्रदीप सौरभ के उपन्याय तीसरी ताली में वर्णित समलैंगिकता एवं किन्नरों में बढ़ते देह-व्यापार का चलन
प्रदीप सौरभ के उपन्याय तीसरी ताली में वर्णित समलैंगिकता एवं किन्नरों में बढ़ते देह-व्यापार का चलन
Author(s)
अर्चना कुमारी
Abstract
इक्कीसवीं सदी में जी रहा मानव आज भी पुरातन मान्यता को लेकर चल रहा है। बहुत-सी मान्यताएँ तो बदल गई, किन्तु कुछ मान्यताएँ आज भी हैं जिन्हें बदलने में असमर्थ हैं। समय के साथ-साथ दुनिया बदल गई बात बदला, विचार बदली परन्तु जो न बदला वह है नजरिया। वो भी उस तबके के लिए जिसकी शारीरिक संरचना हू-ब-हू मनुष्य की तरह ही है, परन्तु अपने लैंगिक दुविधा के जद्दोजहद में जी रहा है। प्रदीप-सौरभ ने देह व्यापार जैसे संवेदनशील विषय को बड़ी बखूबी से उपन्यास के अलग-अलग पृष्ठों पर लिखने का काम किया है। उन्होंने इस विषय को समाने रखने की सफल प्रयास ही नहीं किया है, अपितु इसका मुख्य कारणों के बारे में भी बताया है। उन्होंने रेखा चितकबरी, पिंकी और सुनयना के माध्यम से अपनी बात रखी है। रेखा चितकबरी जो दिल्ली युनिवर्सिटी से बी.ए. किया था, आज के दौर में वह दिल्ली की नामचीन कालगर्ल सप्लायर थी। पिंकी जो डिम्पल के गैंग की हिजड़ी थी, वह भागकर रेखा के साथ हो ली थी और डिम्पल के गैंग की एक और हिजड़ी सुनयना को उसके गैंग में शामिल होने का बार-बार न्यौता दे रही थी।
How to cite this article:
अर्चना कुमारी. प्रदीप सौरभ के उपन्याय तीसरी ताली में वर्णित समलैंगिकता एवं किन्नरों में बढ़ते देह-व्यापार का चलन. Int J Appl Res 2022;8(6):571-574.