Vol. 8, Issue 6, Part H (2022)
हिंदी एवं जापानी की आधारभूत प्रेरणार्थक क्रियाएँ
हिंदी एवं जापानी की आधारभूत प्रेरणार्थक क्रियाएँ
Author(s)
Sanmati Jain
Abstract
एक ही अभिव्यक्ति को संप्रेषित करने के लिए विभिन्न भाषाओं अथवा माध्यमों का प्रयोग किया जा सकता है । जिनमें से भाषाए वैचारिक अभिव्यक्ति का एक अहम माध्यम है । यहाँ पर यह ध्यातव्य है कि किसी भी भाषा में उस भाषा के क्रियापदों का सर्वाधिक महत्व होता है या यूं कहें कि बिना क्रियापद के ज्ञान के किसी भी भाषा को समझ पाना अत्यंत कठिन होता है । अत: क्रियाओं का ज्ञान एक अनिवार्य आवश्यकता है । लगभग सभी भाषाओं में सामान्यत: क्रियापदों का क्षेत्र अधिक विस्तृत एवं गूढ़ होता है । जिससे इस विषय में शोध की अनेकों संभावनाएँ सहज ही निर्मित होती रहती हैं । अध्ययन से पता चलता है कि वर्तमान में किसी भी भाषा के क्रियापदों से संबंधित जितने भी भाषा.वैज्ञानिक शोध जारी हैं उनमें उन क्रियाओं के बारे में और भी अधिक गूढ़ रहस्य प्रकट होते जा रहे हैं । भूत पर दृष्ट डालें तो पाते हैं कि विश्व की लगभग सभी आधुनिक भाषाओं की विभिन्न व्याकरणिक कोटियों पर अनेकों शोध हो चुके हैं और वर्तमान में जारी भी हैं । अत: इसी शोध.दृष्टि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत शोध.पत्र के माध्यम से हिंदी एवं जापानी भाषा में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न आधारभूत प्रेरणार्थक क्रियाओं को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है । जिनमें प्रथमत: हिंदी की आधारभूत प्रेरणार्थक क्रियाओं के बारे में चर्चा की गई हैए तदोपरांत जापानी की आधारभूत प्रेरणार्थक क्रियाओं के बारे लिखा गया है । हालाँकि, जापानी में प्रेरणार्थक क्रियाओं के विस्तरित अन्य रूप भी हैं, परंतु, उन्हें अधिक विस्तारिकरण के भय से यहाँ पर सम्मिलित नहीं किया गया है । अन्यत्र किसी आलेख में उनके बारे में विस्तार से चर्चा की जायेगी ।
How to cite this article:
Sanmati Jain. हिंदी एवं जापानी की आधारभूत प्रेरणार्थक क्रियाएँ. Int J Appl Res 2022;8(6):567-570.