Vol. 9, Issue 1, Part F (2023)
अनुसूचित जाति की महिलाओं की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सहभागिता का विश्लेषणात्मक अध्ययन
अनुसूचित जाति की महिलाओं की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सहभागिता का विश्लेषणात्मक अध्ययन
Author(s)
Ruby Kumari and Dr. Kalpana Kumari
Abstractशिक्षा एक ऐसा हथियार है जिससे समाज में अनुसूचीत जाति की महिलाओं की स्थिति में सुधार किया जा सकता है। सरकारी और गैरसरकारी एजेंसियों ने अनुसूचित जाति महिलाओं के सुधार के लिए राष्ट्रीय आयोग की सिफारिश के अनुसार अनुसूचियों में शामिल किया गया है और संसद द्वारा अनुमोदित किया गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 341 के तहत जिन जातियों को सूचीबद्ध किया गया है, उन्हें अनुसूचित जाति माना जाता है। समाजसेवियों एवं सरकारो के द्वारा अनेक प्रयासों के कारण वर्तमान में अनुसूचित जाति की शिक्षा का स्तर कुछ बदला हैं, लेकिन मना अभी बदलाव काफी दूर हो, अनुसूचित जाति सर्व जनजाति आयोग की छटवीं रिपोर्ट (1999-2001) में भी इस बात को स्वीकार किया गया है कि इन जातियों के लिए केन्द्र सरकार, राज्य सरकार तथा केन्द्रशासित प्रदेशों में इस जाति वर्ग के शौक्षिक, आर्थिक, तथा सांस्कृतिक विकास के लिए जो भोजनाएँ चलायी जा रही है वे अभी पूरी ईमानदारी के साथ लागू नहीं की गई हो इस सन्दर्भ मे आयोग ने विभिन्न सिफारिशें केन्द्र सरकार को प्रषित की है, जिस पर गम्भीरता के साथ अमल किये जाने की आवश्यकता है। आदिवासी एवं दलित समुदाय मे बालिका शिक्षा की स्थिति काफी बूरी हो आदिवासी समुदाय की कूल 41.4% लड़कियाँ शिक्षित है। वर्तमान में अनेको प्राग के प्रावधान केन्द्र सरकार एवं अयोग द्वारा बनाये गये हैं। इतके बावजूद रुक्षीवादिता, लिंग संबंधी भेदभाव, समाज में, शिक्षा की कमी के कारण अनुसूचित जाति की महिलाओ को हीन दृष्टी से देखना इत्यारी कारणों के कारण इन महिलाओं की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सह-भागिता मानको के तुलना मे कम है, जो चिंता का विषय है परन्तु प्रयासो से यह लक्ष्य की ओग ओर अग्रसर प्रतित होता है।
How to cite this article:
Ruby Kumari, Dr. Kalpana Kumari. अनुसूचित जाति की महिलाओं की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सहभागिता का विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int J Appl Res 2023;9(1):431-433.