Abstractषà¥à¤—à¥à¤¨à¤¾à¤¹à¥‹à¤‚ का देवताषॠउपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ ;1949दà¥à¤§ से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ पाने वाले धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥€ के सफल नाटककारठकहानीकारठआलोचक और कवि à¤à¥€ हैं। षà¥à¤¸à¥‚रज का सातवां घोड़ाषॠ;1952दà¥à¤§ उनका दूसरा उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ है। इसमें कथा कहने की जो शैली है वह तो निराली है ही उसका पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¥à¤¯ à¤à¥€ बड़ा महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ और पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¾à¤‚गिक है। षà¥à¤—à¥à¤¯à¤¾à¤°à¤¹ सपनों का देशषॠऔर षà¥à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚ठव समापनशॠउनके अनà¥à¤¯ उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ हैं।
मà¥à¤°à¥à¤¦à¥‹à¤‚ का गाà¤à¤µà¤ सà¥à¤µà¤°à¥à¤— और पृथà¥à¤µà¥€à¤ चाà¤à¤¦ और टूटे हà¥à¤ लोगठबंद गली का आखिरी मकानठआदि उनके कहानी संगà¥à¤°à¤¹ हैं। धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ नयी आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सà¥à¤¤à¤‚ठहैं और उनकी कहानियों में आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ à¤à¤²à¤•à¤¤à¥€ है।
ठेले पर हिमालयठपशà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¥€à¤ कहनीदृअकहनीठकà¥à¤› चेहरे कà¥à¤› चिनà¥à¤¤à¤¨à¤ शबà¥à¤¦à¤¿à¤¤à¤¾à¤ मानव मूलà¥à¤¯ और साहितà¥à¤¯ उनके निबंध संगà¥à¤°à¤¹ हैं। षà¥à¤®à¤¾à¤¨à¤µ मूलà¥à¤¯ और साहितà¥à¤¯à¤·à¥ नामक निबंध संगà¥à¤°à¤¹ वैचारिकी से परिपूरà¥à¤£ है और उनके साहितà¥à¤¯ के मूलà¥à¤¯à¤¾à¤‚कन और पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिकता के संदरà¥à¤ में यह विशेष रूप से उपयोगी है।
वे विचाराधारा से मारà¥à¤•à¥à¤¸à¤µà¤¾à¤¦à¥€ थे और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने पà¥à¤°à¤—तिवाद रू à¤à¤• समीकà¥à¤·à¤¾ लिखकर पà¥à¤°à¤—तिवाद के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ को सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° ढंग से सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ किया है।
ठंठा लोहाठसात गीत वरà¥à¤·à¤ कनà¥à¤ªà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤ सपना अà¤à¥€ à¤à¥€à¤ आदà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ और देशांतर उनके कावà¥à¤¯ संगà¥à¤°à¤¹ हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ नयी कविता के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– सà¥à¤¤à¤‚ठहैं और इस हैसियत से वे अजà¥à¤žà¥‡à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ संपादित षà¥à¤¦à¥‚सरा सपà¥à¤¤à¤•à¤·à¥ के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कवि à¤à¥€ हैं। धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ की पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ कारण उनका कावà¥à¤¯ नाटक षà¥à¤…ंधायà¥à¤—षॠहै जो आधà¥à¤¨à¤¿à¤• यà¥à¤— की बड़ी समसà¥à¤¯à¤¾ .यà¥à¤¦à¥à¤§ और मानव à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ पर केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ है।
धरà¥à¤®à¤µà¥€à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ à¤à¤• मानवतावाद साहितà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤° हैं और उनके संपूरà¥à¤£ चिनà¥à¤¤à¤¨ के केनà¥à¤¦à¥à¤° में मानव और उसका à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ है।