Vol. 9, Issue 2, Part E (2023)
गांधीजी की सामाजिक परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ और आज का समाज
गांधीजी की सामाजिक परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ और आज का समाज
Author(s)
डॉ. वरà¥à¤šà¤¸à¤¾ सैनी
Abstractà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ लोकजीवन में गांधीजी का पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ इस यà¥à¤— की सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ घटना है। वह हमारे जीवन में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤ªà¥à¤‚ज के रूप में आये और आने के साथ ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने हमें उस विराट नैतिक सà¥à¤µà¤°à¥‚प का दरà¥à¤¶à¤¨ कराया जिसे हम à¤à¥‚ल गये थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समाज में फैली अराजकता à¤à¤µà¤‚ बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ को दूर करके मानव के हृदय में आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¤µà¤‚ साहस को जगाया।
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ राजनीति में गांधी के पदारà¥à¤ªà¤£ के पूरà¥à¤µ के दिनों में मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ जो दो विचारधाराओं का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ था, उनमें à¤à¤• सामाजिक सà¥à¤§à¤¾à¤° की पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤à¥€ थी तो दà¥à¤¸à¤°à¥€ यह दलील रखती थी कि औपनिवेशिक शासन ही मà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ है और इसकी समापà¥à¤¤à¤¿ के बाद सामाजिक सà¥à¤§à¤¾à¤° सà¥à¤µà¤¯à¤‚ सà¥à¤µà¤°à¥‚प गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर लेगा। गांधी ने इन दोनों विचारधाराओं को à¤à¤• साथ लेकर पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया- आजादी की लड़ाई का नेतृतà¥à¤µ संà¤à¤²à¤¾ तथा सामाजिक सà¥à¤§à¤¾à¤° कारà¥à¤¯ के रूप में असà¥à¤ªà¥ƒà¤¶à¥à¤¯à¤¤à¤¾ मिटाने का संघरà¥à¤· à¤à¥€ शà¥à¤°à¥‚ किया। दà¥à¤¸à¤°à¥€ तरफ, जहाठधारà¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¤à¥à¤¥à¤¾à¤¨à¤µà¤¾à¤¦à¥€ हिनà¥à¤¦ यथासà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के नाम पर कायम रखना चाहतें थे, वहीं पà¥à¤°à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ जन बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के विरोध में उपदà¥à¤°à¤µà¥€ रूख अपना रहें थे, à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में गांधी ने कहा कि हिनà¥à¤¦à¥ धरà¥à¤® असà¥à¤ªà¥ƒà¤¶à¥à¤¯à¤¤à¤¾ को नहीं मानता और इस परसà¥à¤ªà¤° विरोध का समाधान अछà¥à¤¤à¥‹à¤‚ को बराबरी का दरà¥à¤œà¤¾ देकर तथा हिनà¥à¤¦à¥-हृदय को उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सदà¤à¤¾à¤µ में परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ कर ही किया जा सकता है। सनॠ1920 ई० ओर 1921 के कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के अधिवेशनों में जिसमें असहयोग आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ शà¥à¤°à¥‚ करने का निरà¥à¤£à¤¯ लिया गया, पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ पारित कर यह दरà¥à¤¶à¤¾à¤¯à¤¾ गया कि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹à¥€ असà¥à¤ªà¥ƒà¤¶à¥à¤¯à¤¤à¤¾ के खिलाफ न सिरà¥à¤« संघरà¥à¤· करेगा, बलà¥à¤•à¤¿ अछूतों से समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• रख उनकी यथासंà¤à¤µ मदद करेगा। गांधी ने असà¥à¤ªà¥ƒà¤¶à¥à¤¯à¤¤à¤¾ उनà¥à¤®à¥‚लन को राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ का अनà¥à¤¯à¥‹à¤¨à¥à¤¯à¤¶à¥à¤°à¤¯ अंग बनाया तथा सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® के सेनानियों के लिठयह à¤à¤¸à¤¾ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ बनाया, जिसे अखिल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पैमाने पर सà¥à¤µà¥€à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ मिली।
How to cite this article:
डॉ. वरà¥à¤šà¤¸à¤¾ सैनी. गांधीजी की सामाजिक परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ और आज का समाज. Int J Appl Res 2023;9(2):343-346.