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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 9, Issue 4, Part C (2023)

प्राचीन इतिहास की साक्षी नर्मदा

प्राचीन इतिहास की साक्षी नर्मदा

Author(s)
अपराजिता मिश्रा, डाॅ. महेन्द्र मणि द्विवेदी
Abstract
प्राचीन भारतीय धर्म ग्रंथ पुराण नर्मदा को कई कल्पों की साक्षी1 बताते हैं, कल्पांत स्थाईनी बताते हैं। इस मत के अनुसार नर्मदा सृष्टि के नवनिर्माण के पूर्व से इस देश मे है। प्रलय के दौरान समुद्र में विचरण करती है और नई सृश्टि की रचना के बाद पुनः भूलोक में अवतरित होती है। इस तरह मानव जीवन के साथ ही नर्मदा का अवतरण होता है। अब सवाल उठता है कि सृष्टि का सृजन कब हुआ? मानव का जन्म कब हुआ? इतिहासकार, पुरातत्ववेत्ता और भू वैज्ञानिक इस बात को लेकर लगातार अनुसंधानरत हैं कि पृथ्वी की और पृथ्वी पर मानव जीवन की उत्पत्ति कब और कैसे हुई। इस संबंध में विश्व भर के अलग-अलग इतिहासकारों एवं वैज्ञानिकों ने अपने अलग-अलग मत दिए, लेकिन उनमे एकरूपता नहीं बन सकी। वर्ष 1952 में ग्वालियर में हुए इतिहास कांग्रेस के अधिवेशन में सभापति के रूप से अपने उद्बोधन के दौरान डाॅ राधाकुमुद बनर्जी ने कहा आदि मनुष्य पंजाब और शिवाली की ऊंची भूमि पर विकसित हुआ होगा, इस बात के प्रमाण मिलते हैं। डाक्टर मुखर्जी के अनुसार मानव की उत्पत्ति भारत में हुई और इसी देश में उसकी सभ्यता विकसित हुई।2
परवर्ती इतिहासकारों का मानना है कि अगर मनुष्य भारत में जन्मा तो वह उत्तर नहीं दक्षिण में जन्मा होगा। भारत की सबसे पुरानी धरती वह है जो विंध्य पर्वत से होती हुई दक्षिण की ओर गई है। अर्थात् नर्मदा के तट से दक्षिण का भू-भाग। ‘‘भागवत पुराण सृष्टि के आरंभ के बारे में बताता है कि दक्षिण में द्रविण देश के स्वामी राजर्षि सत्यव्रत इस काल के वैवस्वत मनु हुए। पूर्व कल्प के अंत में हुए महाप्रलय से बचने वाले मनु और उनके परिवार से ही मनुष्य जाति उत्पन्न हुई। मनु के दस पुत्र थे, जिनमें बड़ा पुत्र अर्धनारीश्वर था, इसलिए उसके दो नाम थे इल और इला। इल से सूर्यवंश और इला से चंद्रवंश का जन्म हुआ।’’3 भूगर्भवेत्ताओं द्वारा किए गए अनुसंधान के दौरान वर्ष 1935 ईस्वी में बड़ौदा राज्य में नर्मदा के समीप लघु मानव का एक तीस इंच लंबा कंकाल मिला, जिसे वैज्ञानिक आदिमानव का कंकाल समझते हैं। इसके बाद 1982 में नर्मदा घाटी के सीहोर जिले में हथनोरा नामक स्थल से होमोइरेक्टस मानव की संपूर्ण खोपड़ी मिली, जिसे परीक्षण के उपरांत आद्य होमोसेपियंस4 एवं चार लाख वर्ष प्राचीन माना गया। इसी तरह होशंगाबाद के समीप मिलेहोमोनिड मानवो के प्रमाण, नर्मदा के समीप प्राचीन गुफाओं में उपलब्ध शैलचित्र, डायनासोर के अंडों के जीवाष्म, कुल्हाड़ी एवं धार जिले में मिली पुरातन गहने बनाने वाली फैक्ट्री जैसी तमाम चीजें नर्मदा घाटी से लगातार प्राप्त हो रही हैं। इस प्रकार से पुरातात्विक अन्वेषणांे से यह धारणा मजबूत होती है कि मानव का जन्म और विकास नर्मदा के तट पर या नर्मदा के समीप हुआ।
Pages: 188-193  |  628 Views  270 Downloads


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How to cite this article:
अपराजिता मिश्रा, डाॅ. महेन्द्र मणि द्विवेदी. प्राचीन इतिहास की साक्षी नर्मदा. Int J Appl Res 2023;9(4):188-193.
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