Vol. 9, Issue 4, Part C (2023)
कला की सामाजिक व दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि (सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में)
कला की सामाजिक व दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि (सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में)
Author(s)
डाॅ. शंकर शरà¥à¤®à¤¾
Abstractपूरà¥à¤µà¥€ तथा पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ देशों मंे पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ नैतिकता की आकांकà¥à¤·à¤¾ तथा धारà¥à¤®à¤¿à¤• पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि मंे मानवीय à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं तथा सामाजिक अनà¥à¤à¤µà¤¾à¤‚े को à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ साà¤à¤šà¥‡ में ढालकर किया गया है, जहाठये पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ तथा अतिपà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ के समनà¥à¤µà¤¯ से अतिशà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ तक पहà¥à¤‚च जाते है। जहाठà¤à¤• और ये पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• नैतिक दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ लिये रहते है वहीं दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• à¤à¥€, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इनà¥à¤¹à¤‚े पà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤·à¥à¤“ं की बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ तथा सामानà¥à¤¯ आकांकà¥à¤·à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤à¤µà¥‹ के संयोग से विकसित किया गया है। पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¥‹à¤‚ के इस वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•-पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° व इनकी उपयोगिता को देखते हà¥à¤ यहाठयह कहना अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ नहीं होगा कि विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹ मंे यदि मनà¥à¤·à¥à¤¯ के पास पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•-सृजन व उनके अरà¥à¤¥à¤—à¥à¤°à¤¹à¤£ की शकà¥à¤¤à¤¿ नहीं होती तो संà¤à¤µà¤¤à¤ƒ मानव-संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ आज अविकसित रह गई होती।
How to cite this article:
डाॅ. शंकर शरà¥à¤®à¤¾. कला की सामाजिक व दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• पृषà¥à¤ à¤à¥‚मि (सौनà¥à¤¦à¤°à¥à¤¯ व पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में). Int J Appl Res 2023;9(4):231-235. DOI:
10.22271/allresearch.2023.v9.i4c.11284