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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 1, Issue 1, Part E (2014)

अमूर्त कला का प्रार्दुभाव (परिस्थिति, अवधारणाएँ, रूपरेखा एवं उदगम)

अमूर्त कला का प्रार्दुभाव (परिस्थिति, अवधारणाएँ, रूपरेखा एवं उदगम)

Author(s)
डाॅ. अनिल गुप्ता
Abstract
अमूर्त कला में किसी न किसी रूप से कला तत्व मौजूद रहते हैं। अमूर्त कला से कलाकार अपने विचारों की प्रस्तुती करता है, जो परोक्ष या अपरोक्ष रूप से समाज में मौजूद सामाजिक, धार्मिक, वैज्ञानिक आदि आडम्बर और विकास को उसके अपने अनुभव के आधार पर समझने का प्रयत्न करता है। साथ ही प्रकृति की अपनी सत्ता को भी वह समझता है। क्योंकि उसका जन्म एवं विकास यही हुआ है, तो अमूर्त कला का जन्म एवं विकास भी यह हुआ है। हम किसी भी तरह उसको समाज से अलग नही देख सकते।
Pages: 341-342  |  551 Views  79 Downloads
How to cite this article:
डाॅ. अनिल गुप्ता. अमूर्त कला का प्रार्दुभाव (परिस्थिति, अवधारणाएँ, रूपरेखा एवं उदगम). Int J Appl Res 2014;1(1):341-342.
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