Vol. 2, Issue 8, Part L (2016)
धर्मनिरपेक्षता : एक विवेचन
धर्मनिरपेक्षता : एक विवेचन
Author(s)
डॉ. अंजना रानी
Abstract
भारत एक धर्म प्राण देश है किंतु भारत अनेक धर्मो वाला देश भी है। इसकी विविधता इसे समृद्धशाली बनाती है, और “विविधता में एकता” तो अन्य देशों की अपेक्षा इसे श्रेष्ठ और गौरवशाली बनाती है। लेकिन “अनेकता में एकता” को कई बार चुनौतियां अधिकांशत: धर्म के नाम पर ही मिलती हैं। भारत के विभाजन का कारण धर्म बना लेकिन सही अर्थों में धर्म परायण लोगों का जीवन और दर्शन बांटने पर नहीं बल्कि सबको एकजुट करने पर जोर देता है। इसी कारण से भारत ने धर्म के नाम पर पाकिस्तान के निर्माण के बावजूद भारत का निर्माण धर्म के नाम पर नहीं किया। सनातन संस्कृति उस महासागर के समान है, जिसमें सारी नदियां आकर मिल जाती हैं। अपनी सांस्कृतिक विराटता को और विविधता को बनाए रखने के लिए भारत ने “धर्मनिरपेक्षता” को चुना। उस धर्मनिरपेक्षता को सही अर्थों में समझने की दिशा में यह शोध लेख एक विनम्र प्रयास है।
How to cite this article:
डॉ. अंजना रानी. धर्मनिरपेक्षता : एक विवेचन. Int J Appl Res 2016;2(8):867-870.