Vol. 2, Issue 8, Part L (2016)
धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ : à¤à¤• विवेचन
धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ : à¤à¤• विवेचन
Author(s)
डॉ. अंजना रानी
Abstract
à¤à¤¾à¤°à¤¤ à¤à¤• धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤¾à¤£ देश है किंतॠà¤à¤¾à¤°à¤¤ अनेक धरà¥à¤®à¥‹ वाला देश à¤à¥€ है। इसकी विविधता इसे समृदà¥à¤§à¤¶à¤¾à¤²à¥€ बनाती है, और “विविधता में à¤à¤•à¤¤à¤¾” तो अनà¥à¤¯ देशों की अपेकà¥à¤·à¤¾ इसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ और गौरवशाली बनाती है। लेकिन “अनेकता में à¤à¤•à¤¤à¤¾” को कई बार चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ अधिकांशत: धरà¥à¤® के नाम पर ही मिलती हैं। à¤à¤¾à¤°à¤¤ के विà¤à¤¾à¤œà¤¨ का कारण धरà¥à¤® बना लेकिन सही अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में धरà¥à¤® परायण लोगों का जीवन और दरà¥à¤¶à¤¨ बांटने पर नहीं बलà¥à¤•à¤¿ सबको à¤à¤•à¤œà¥à¤Ÿ करने पर जोर देता है। इसी कारण से à¤à¤¾à¤°à¤¤ ने धरà¥à¤® के नाम पर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के बावजूद à¤à¤¾à¤°à¤¤ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ धरà¥à¤® के नाम पर नहीं किया। सनातन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ उस महासागर के समान है, जिसमें सारी नदियां आकर मिल जाती हैं। अपनी सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• विराटता को और विविधता को बनाठरखने के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤ ने “धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾” को चà¥à¤¨à¤¾à¥¤ उस धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ को सही अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में समà¤à¤¨à¥‡ की दिशा में यह शोध लेख à¤à¤• विनमà¥à¤° पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ है।
How to cite this article:
डॉ. अंजना रानी. धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ : à¤à¤• विवेचन. Int J Appl Res 2016;2(8):867-870.