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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Peer Reviewed Journal

Vol. 3, Issue 1, Part L (2017)

भारतीय संस्कृति में भाग्यवाद और कर्मवाद

भारतीय संस्कृति में भाग्यवाद और कर्मवाद

Author(s)
डॉ. सर्वजीत दुबे
Abstract
जीवन में भाग्य की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है और कर्म की भी। एक तरफ नितांत भाग्यवादी सब कुछ ऊपर वाले पर छोड़ कर अनुकूल समय का इंतजार मात्र करते हैं तो दूसरी तरफ नितांत कर्मवादी सब कुछ अपने ऊपर लेकर तनाव बहुत बढ़ा लेते हैं। भारतीय संस्कृति में भाग्यवाद और कर्मवाद दोनों के पक्ष में मनीषियों ने अपने.अपने मत रखे हैं। उन्हें जानकर भाग्य तथा कर्म के बीच जो संतुलन स्थापित कर लेता हैए वह न तो निठल्लेपन का शिकार होता है और न तनाव का। कमल कीचड़ में खिलता है लेकिन कीचड़ में रहते हुए भी अस्पर्शित रहता है। संसार के घनघोर कर्म के बीच भी भाग्य में आस्था रखने वाले अपना धीरज नहीं खोते।
Pages: 1063-1066  |  493 Views  122 Downloads


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How to cite this article:
डॉ. सर्वजीत दुबे. भारतीय संस्कृति में भाग्यवाद और कर्मवाद. Int J Appl Res 2017;3(1):1063-1066.
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