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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 3, Issue 12, Part E (2017)

भारतीय संस्कृति में कर्म की अवधारणा

भारतीय संस्कृति में कर्म की अवधारणा

Author(s)
डॉ. अंजना रानी
Abstract
जन्म से लेकर मरण तक विभिन्न प्रकार के कर्मों में मनुष्य लिप्त रहता है। कर्म बंधन का कारण भी बनता है और मुक्ति का भी कारण बनता है। अतः कर्म के प्रति जो हम दृष्टि अपनाते हैं, वह सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है। भारतीय संस्कृति में कर्म के विविध रूपों का सूक्ष्म विश्लेषण कर मानव का पथ-प्रदर्शन किया गया है। प्रायः भारतीय संस्कृति को भाग्यवादी मान लिया जाता है किंतु भारतीय दार्शनिक ग्रंथों में कर्म के व्यापक और सूक्ष्म विश्लेषण को देखकर यह संस्कृति कर्म प्रधान संस्कृति सिद्ध होती है।
Pages: 332-336  |  155 Views  49 Downloads
How to cite this article:
डॉ. अंजना रानी. भारतीय संस्कृति में कर्म की अवधारणा. Int J Appl Res 2017;3(12):332-336.
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