Vol. 3, Issue 5, Part L (2017)
वेदांत में मोकà¥à¤·
वेदांत में मोकà¥à¤·
Author(s)
डॉ. अंजना रानी
Abstract
पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ चतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¯ में मोकà¥à¤· को परम पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ माना गया है। धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤•à¥‚ल अरà¥à¤¥ और काम के सेवन के बाद अंतिम मंजिल मोकà¥à¤· ही है। विशà¥à¤µ की किसी à¤à¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में 'मोकà¥à¤·' जैसा शबà¥à¤¦ नहीं है। सà¥à¤µà¤°à¥à¤— से ऊपर पशà¥à¤šà¤¿à¤® की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ नहीं जाती। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ बहà¥à¤¤ ही गहरी और सूकà¥à¤·à¥à¤® है। जीवन को गहराई से देखने के बाद वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ यहां बार बार आना नहीं चाहता। अतः आवागमन से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ की कामना वाले à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ ऋषियों ने मोकà¥à¤· की अवधारणा दी। वेदांत ने इस अवधारणा को बहà¥à¤¤ ही वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• और तारà¥à¤•à¤¿à¤• रूप दिया।
How to cite this article:
डॉ. अंजना रानी. वेदांत में मोकà¥à¤·. Int J Appl Res 2017;3(5):907-910.