Vol. 4, Issue 10, Part F (2018)
संत कबीर के भक्ति काव्य में जीवनमूल्य
संत कबीर के भक्ति काव्य में जीवनमूल्य
Author(s)
सुरेन्द्र कुमार गुप्ता
Abstractभारतीय संस्कृति में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों की परिकल्पना की गई है। मनुष्य का जीवन इन चार पुरुषार्थों से सुमेलित होता है। ये चारों पुरुषार्थ जीवन का एक भाग न होकर समय आदर्ष जीवन के साध्य रूप हैं। इन्हीं को संधानित करके मानव-जीवन अग्रसर होता है। मानवीय जीवन में नीति का भी अनन्य साधरण महत्व हैं। वही हमें उचित-अनुचित का ज्ञान देती हुई चलती है और हमारे चरित्र को आलोकित करती है। इस नीति में ‘मानवता’ नामक तत्व विषेष होता है, और संत साहित्य की प्रमुख विषेषता मानवता ही है। इसका सबसे बड़ा लक्ष्य है - ‘अतीत के अनुभव एवं ज्ञान से वर्तमान की उच्छृंखलाओं एवं अमर्यादाओं को दूर करके मर्यादा की स्थापना करना।’ यही मानवता कबीर के काव्य का गौरव है। कबीर मानवीय जीवन को ईष्वर की अमूल्य निधि मानते हैं। कबीर ने निम्न नैतिक तत्वों से चलने का संदेष मनुष्य को दिया है जिससे उसे ईष्वर की प्राप्ति यथासंभव हो सके।
How to cite this article:
सुरेन्द्र कुमार गुप्ता. संत कबीर के भक्ति काव्य में जीवनमूल्य. Int J Appl Res 2018;4(10):490-493.