Vol. 4, Issue 3, Part H (2018)
पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द की कहानियों में चारितà¥à¤°à¤¿à¤• वैविधà¥à¤¯
पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द की कहानियों में चारितà¥à¤°à¤¿à¤• वैविधà¥à¤¯
Author(s)
शशि पà¥à¤°à¤à¤¾
Abstract
पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द ने अपने कहानियों में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज का संपूरà¥à¤£ यथारà¥à¤¥ वà¥à¤¯à¤‚जित किया है। इसी संपूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ की साधना के लिठउनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने पातà¥à¤°à¥‹à¤‚ में चारितà¥à¤°à¤¿à¤• विविधता का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखा है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤·, बालक, बालिका, अमीर-गरीब, किसान-मजूदर, सवरà¥à¤£, दलित सà¤à¥€ उनकी कहानियों के पातà¥à¤° बने हैं। कहानियों में पातà¥à¤°à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ सीमित रखी जाती है। इसका खà¥à¤¯à¤¾à¤² रखते हà¥à¤ à¤à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने चरितà¥à¤° के विकास में कोई कमी नहीं रखा है। पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द की कहानियों के पातà¥à¤° मानवीय संवेदना से परिपूरà¥à¤£, समाज की चेतना को कà¥à¤°à¤¦à¤¨à¥‡ वाला है। उनकी कहानियों में जिस तरह की कथावसà¥à¤¤à¥ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ होती है, उसी तरह के पातà¥à¤°à¥‹à¤‚ की à¤à¥€ योजना की जाती है। यही पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द की विशिषà¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ और अमरता का आधार है।
How to cite this article:
शशि पà¥à¤°à¤à¤¾. पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤šà¤‚द की कहानियों में चारितà¥à¤°à¤¿à¤• वैविधà¥à¤¯. Int J Appl Res 2018;4(3):512-514.