Vol. 4, Issue 5, Part C (2018)
मानववादी अवधारणा के संदरà¥à¤ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ चिंतन
मानववादी अवधारणा के संदरà¥à¤ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ चिंतन
Author(s)
डॉ. अंजना रानी
Abstract
आधà¥à¤¨à¤¿à¤• यà¥à¤— में मानववादी अवधारणा ने मानव को केंदà¥à¤° में रखकर इहलोक को जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤,सà¥à¤‚दर और सारà¥à¤¥à¤• बनाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ इस अवधारणा को पशà¥à¤šà¤¿à¤® की देन माना जाता है लेकिन सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ यह है कि ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ के बहà¥à¤¤ सारे मंतà¥à¤° मानव की छोटी-छोटी कामनाओं से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ हà¥à¤ हैं। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ गà¥à¤°à¤‚थों में करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤‚ड के नाम पर जिन यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¨ था, वे à¤à¥€ मानव की इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं की तृपà¥à¤¤à¤¿ के लिठकिठजाते थे-चाहे वे सà¥à¤µà¤°à¥à¤— की कामना से हो या पà¥à¤¤à¥à¤° की कामना से। पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ जगत में मानववाद पाप और अध:पतन की ईसाई विचारधारा के विरà¥à¤¦à¥à¤§ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आया। बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ पर आधारित मानववाद में बाद में संवेदनाओं को à¤à¥€ जोड़ने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया गया। इससे मानवतावाद असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ में आया। मानववाद जहां मानव को ही साधà¥à¤¯ मानता था वहां मानवतावाद ने दृषà¥à¤Ÿà¤¿ को विसà¥à¤¤à¤¾à¤° दिया। मधà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में साधà¥-संतों ने ऊंच-नीच, जात-पात के विरà¥à¤¦à¥à¤§ समाज को जगाया। à¤à¤¸à¥‡ सामाजिक जागरण के वातावरण में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ ने इंसान में ही à¤à¤—वान को देखने की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ की।
How to cite this article:
डॉ. अंजना रानी. मानववादी अवधारणा के संदरà¥à¤ में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ चिंतन. Int J Appl Res 2018;4(5):193-196.