Vol. 8, Issue 6, Part H (2022)
पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की अवधारणा
पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की अवधारणा
Author(s)
गजेनà¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤®à¤¾à¤° यादव
Abstractपà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤‚थों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से यह जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि पà¥à¤¶à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में आजीविका का मà¥à¤–à¥à¤¯ आधार था और यहाठके लोगों ने पशà¥à¤“ं को ईशà¥à¤µà¤° का दरà¥à¤œà¤¾ दिया। अनेक पशà¥à¤“ं के देवी-देवताओं के वाहन रूप में पदसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया और आधà¥à¤¨à¤¿à¤• दौर के संचार यà¥à¤— में à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤¾à¤¸à¥€ इनकी पूजा कर रहे हैं। पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ अरà¥à¤¥à¤µà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बना हà¥à¤† है और कई समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ के लोगों की आजीविका पशà¥à¤“ं के सहारे ही संचालित हो रही हैं। पशà¥à¤“ं को पालने-पोसने की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤® अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करते ही सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ हो जाता है कि मानवों ने शिकारी जीवन से ही पशà¥à¤“ं का उपयोग करना आरंठकिया जो कालांतर में कृषि, आवागमन आदि कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में जाकर सà¥à¤¥à¤¿à¤° हो गई। मानवों ने बहà¥à¤‰à¤ªà¤¯à¥‹à¤—ी पशà¥à¤“ं को पालतू बनाया और उनके पà¥à¤°à¤œà¤¨à¤¨à¥à¤¨ समेत जीवन की सà¤à¥€ अवसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं पर नियंतà¥à¤°à¤£ कर लाठअरà¥à¤œà¤¿à¤¤ करने की पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ विकास किया। समय चकà¥à¤° के साथ पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ ने वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ का रूप लिया। खेत-खलियानों, बैलगाड़ी-टमटम आदि में पशà¥à¤“ं के उपयोग ने मानवों की कठिनाईयाठदूरकर दी। पशà¥à¤“ं से दोसà¥à¤¤à¥€ कर मानवों ने अपने उपà¤à¤¾à¤— को बà¥à¤¾à¤¯à¤¾à¥¤ पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ पà¥à¤°à¤—ति करने लगा और इस पà¥à¤°à¤—ति-चकà¥à¤° का संपूरà¥à¤£ à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• तथà¥à¤¯ à¤à¥€ मौजूद है।
How to cite this article:
गजेनà¥à¤¦à¥à¤° कà¥à¤®à¤¾à¤° यादव. पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पशà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की अवधारणा. Int J Appl Res 2022;8(6):614-615.