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Vol. 9, Issue 4, Part C (2023)

भक्तिकाल का उदय: सामासिक भारतीय संस्कृति का प्रतिबिम्ब

भक्तिकाल का उदय: सामासिक भारतीय संस्कृति का प्रतिबिम्ब

Author(s)
राहुल पाण्डेय
Abstract
भक्तिकाल के उदय के संदर्भ में विभिन्न भारतीय व पाश्चात्य विद्वानों ने अपने विचार प्रकट किए हैं। भारतीय विद्वानों का एक वर्ग भक्तिकाल का उदय पराजित मनोवृत्ति को माना है।दूसरा वर्ग भक्ति का मूल प्राचीन भारतीय स्रोतों में खोजने का प्रयास किया है।तीसरा वर्ग भक्ति का उद्गम द्रविडों से माना है।चौथा वर्ग भक्ति का उद्गम सामाजिक और आर्थिक प्रभाव में खोजने का प्रयास किया है।
वहीं पाश्चात्य विद्वानों ने भारत में भक्ति के उदय को ईसाई धर्म की देन कहा है।कुछ विद्वान भक्ति के उदय में अरबों का प्रभाव माना है।
इन सभी मतों के अध्यनोपरांत यह पता चलता है कि कोई एक निश्चित विचार भक्ति के उदय में जिम्मेदार नहीं है। अंततःहिंदी साहित्येतिहासकारों ने माना कि भक्ति आंदोलन भारतीय प्राचीन दर्शन और सांस्कृतिक परम्परा की अविच्छिन्न धारा के रूप में प्रस्फुटित हुआ है।और इस धारा का प्रस्फुटन आकस्मिक नहीं हुआ। इस आलेख में इसी दृष्टि से विचार किया गया है।
Pages: 211-214  |  2797 Views  2378 Downloads


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How to cite this article:
राहुल पाण्डेय. भक्तिकाल का उदय: सामासिक भारतीय संस्कृति का प्रतिबिम्ब. Int J Appl Res 2023;9(4):211-214.
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